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Raghuvansh Mahakavya Download
यह ग्रंथ अपने नाम के अनुरूप ही स्पष्ट रूप से कह देता है कि इसमें रघुकुल में उत्पन्न होने वाले राजाओ का वर्णन है। रघुकुल के सभी राजा समाज में आदर्श स्थापित करने में सफल हुए थे। इनमे रघु, अज, दिलीप, दशरथ, राम तथा कुश का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।
रघुवंश महाकाव्य में प्रभु श्री राम का वर्णन विशेष रूप से किया गया है। कालीदास की प्रथम दो कृतियों का नाम कुमार संभव और मेघदूत है और तीसरी कृति का नाम रघुवंश महाकाव्य है। महाकवि कालीदास के विषय में किवदंती है कि वह महानिपट मुर्ख थे।
उनकी पत्नी विद्योत्तमा जो विद्या में बहुत ही उत्तम थी। उस विदुषी को जब कालीदास की वास्तविकता का ज्ञान हुआ तो उसने कालीदास के लिए अपने घर के द्वार बंद कर दिए। कालीदास बहुत मर्माहत होकर घर से निकल गए और साधना करते हुए विद्यार्जन किया और विद्वान बनकर घर लौट आये तथा घर के द्वार पर दस्तक देकर द्वार का कपाट खटखटाते हुए कहा द्वारं देहि अनावृत कपाटम।
यह सुनकर विद्योत्तमा ने पूछा अस्ति कश्चित वाग विशेषः और प्रचलित कथा के अनुसार उन्होंने अपनी पत्नी द्वारा कहे गए प्रथम तीन शब्दों को लेकर ही तीन वाक्यों की रचना कर दिया। अस्ति शब्द से कुमार संभव का प्रथम श्लोक कश्चित से मेघदूत का प्रथम श्लोक और वाक् से रघुवंश के प्रथम श्लोक की रचना कर दिया।
Book | Raghuvansh Mahakavya |
Author | Kalidas |
Formate | |
Size | 41 Mb |
Paje | 580 |
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