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Rajatarangini Hindi Pdf
राजतरंगिणी का मतलब है -राजाओं की नहीं ?इसका भावार्थ है कि ,राजाओं के इतिहास का समय और उसका प्रवाह। राजतरंगिणी एक संस्कृत ग्रंथ है जो कल्हड़ द्वारा रचित है। राजतरंगिणी के प्रथम तरंग में -पांडवो के सबसे छोटे भाई सहदेव के राज्य की स्थापना का वर्णन मिलता है। राजतरंगिणी में कश्मीर के इतिहास का वर्णन मिलता है। जो महाभारत काल से प्रारम्भ होता है।
इस पुस्तक से यह भी ज्ञात होता है कि कश्मीर का नाम पहले ब्रह्मा के पुत्र ऋषि मरीच के पुत्र (कश्यप मेरु )के नाम से विख्यात था। उस समय वहां केवल वैदिक धर्म ही प्रचलित था १९शदी के उत्तरार्ध में (ओरेल स्टीन )नामक अंग्रेज ने (राजतरंगिणी )का अंग्रेजी में अनुवाद पंडित गोविन्द कौल से कराया था।
स्वयं कल्हड़ कवि ने कहा है (सच्चे इतिहास लेखक की वाणी को निष्पक्ष और राग द्वेष हीन न्यायाधीश की तरह होना चाहिए तभी वह प्रशंसा का पात्र होता है। ) यथा – स्वाध्यः एव गुणवान राग द्वेष वहिष्कृता। भूतार्थ कथने यस्य स्थयस्येव सरस्वती।। इति राजतरंगिणी।
राजतरंगिणी हिंदी Pdf Download
पुस्तक का नाम | राजतरंगिणी |
पुस्तक के लेखक | कल्हाना, दुर्गा प्रसाद |
पुस्तक की भाषा | हिंदी |
पुस्तक की साइज | 24.35 MB |
कुल पृष्ठ | 984 |
फॉर्मेट | |
श्रेणी | इतिहास |
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