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Ras Ratnakar Nagarjun Pdf
पुस्तक का नाम | Ras Ratnakar Nagarjun Pdf |
पुस्तक के लेखक | हरिशंकर शर्मा |
फॉर्मेट | |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | उपन्यास |
साइज | 46.4 Mb |
पृष्ठ | 731 |
ज्योति स्वरूपा बाद्य यंत्रो के समीप जाकर बैठ गयी और अपनी शक्तियों का आवाहन कर दिया। उसी क्षण चंदन की लकड़ी से हल्की सुगंध सारे दरबार में फ़ैल गयी। स्वर्ण अंगूठी से प्रकाश से परीलोक की सारी व्यवस्था धूमिल पड़ गयी।
मत्स्य नृत्य की मुद्रा में उछलने लगी और कच्छप प्रसन्न चित्त होकर झूमने लगा। चंदन की लकड़ी से बाद्य यंत्र संचालित होने लगा। दरबार में उपस्थित सभी परियां और किन्नर इतने सुमधुर संगीत पर सुमन परी का साथ देने के लिए आतुर हो उठे।
इतना सुमधुर संगीत स्वर परीलोक में आज तक किसी ने नहीं श्रवण किया था। सभी किन्नर और परियां ज्योति स्वरूपा किन्नर की बड़ाई करने लगे। सुमन परी का नृत्य बहुत बेजोड़ था। महारानी के साथ सभी लोग ज्योति स्वरूपा और सुमन की प्रशंसा कर रहे थे।
नृत्य संगीत के कार्यक्रम का समापन हो चुका था। महारानी कुमुद ने ज्योति स्वरूपा से कहा – मैं तुम्हारे बाद्य कौशल से बहुत प्रसन्न हूँ। तुम्हे जो भी इच्छा हो मुझसे मांग सकते हो वह तुम्हे अवश्य ही प्रदान किया जायेगा। ज्योति स्वरूपा ने कहा – महारानी! पहले आप वचन दीजिए कि अपने वचन को अवश्य पूरा करेंगी।
महारानी कुमुद बोली – ज्योति स्वरूपा! मैं तुम्हे वचन देती हूँ कि तुम्हारी इच्छित वस्तु अवश्य ही प्रदान की जाएगी। ज्योति स्वरूपा ने अविलंब कहा – महारानी! आप हमे सुमन परी प्रदान करे? महारानी कुमुद ज्योति स्वरूपा की बात सुनकर कुछ पल के लिए मूर्तिवत हो गयी।
फिर संयत होते हुए बोली – मुझे ज्ञात है तुम धरती से आये हुए मानव हो। तुम्हारे पास जो शक्तियां है उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है और सबसे बड़ी बात यह है कि तुम शक्ति सम्पन्न होने पर भी पोरोपकारी हो अतः तुम्हारे जीवित रहते हुए सुमन परी कभी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ेगी यह मेरी आज्ञा और आशीर्वाद है।
महारानी की बात सुनकर ज्योति स्वरूपा किन्नर और सुमन परी बहुत प्रसन्न थी पर रानी परी उदास हो गयी उसे सुमन परी का विलग होना कष्टकर लग रहा था। महारानी कुमुद ने रानी परी सुलेखा की मनोदशा को भांप लिया और बोली – ज्योति स्वरूपा! तुम्हारे और सुमन परी के साथ रानी परी सुलेखा भी जाएगी जो परीलोक और सुमन परी के मध्य सेतु का कार्य करेगी क्योंकि सुमन परी का तुमसे विलग होना संभव नहीं है?
अतः परीलोक और सुमन परी के मध्य रानी परी सुलेखा ही संतुलन बनाये रख सकती है। महारानी कुमुद से आज्ञा और आशीर्वाद प्राप्त करके ज्योति स्वरूपा किन्नर सुमन परी के साथ धरती पर मिलन के रूप में वापस आ गया और जीवन यात्रा के विस्तार में लग गया।
सुखिया के पास एक गाय थी। वह गाय की बहुत अच्छी तरह से देख भाल करता था। सुखिया की गाय बच्चा देने वाली थी अतः वह उसकी खूब सेवा करता था। सुखिया एक छोटा किसान था। छोटे किसानो की अर्थव्यवस्था प्रायः पशुधन के ऊपर ही आश्रित रहती है।
इस समय आधुनिक कहलाने वाले संसार में आज भी पशुधन की आवश्यकता रहती है। अतः संसार के किसी भी जगह पर पशुधन विशेष करके दूध देने वाले पशु की विशेष मांग रहती है। चाहे किसी भी देश का राजा पशुधन को संरक्षण प्रदान करके उसे अपने स्वामित्व में भले ही रख ले वस्तुतः पशुधन की आवश्यकता बनी ही रहेगी।
रस रत्नाकर नागार्जुन Pdf Download
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