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Ras Tantra Sar PDF In Hindi
पुस्तक का नाम | Ras Tantra Sar PDF In Hindi |
पुस्तक के लेखक | कृष्ण गोपाल |
भाषा | हिंदी |
साइज | 51.2 Mb |
पृष्ठ | 922 |
श्रेणी | आयुर्वेद |
फॉर्मेट |
रस तंत्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह Pdf Download



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सिर्फ पढ़ने के लिये
1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन के समय शर्माजी को उत्तर प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त प्रांत) तथा मध्य प्रदेश का प्रभारी नेता नियुक्त किया गया था। इसके पूर्व मैनपुरी षड्यंत्र केस में उनका सहयोग रहा था। विचारों तथा कर्मों से क्रांतिकारी शर्माजी 1942 के आगरा षड्यंत्र केस के प्रमुख अभियुक्त थे।
केस का नाम था किंग एम्परर v/s श्री राम शर्मा एड अधर्स .इस मुकदमे में 14 अभियुक्त थे। शर्माजी के बड़े पुत्र रमेशकुमार शर्मा, उनकी बेटी कमला शर्मा के साथ उनके बड़े भाई पं. बालाप्रसाद शर्मा पकड़े गए थे। अंत में 1945 में सब लोग जेल से रिहा हुए।
गिरफ्तारी और जेल-प्रवास के दौरान शर्माजी के तीन पुत्रों की मृत्यु हो गई और पुलिस की मारपीट के कारण उनका एक कान भी फट गया था। जेल से छूटने के बाद वे सीधे गांधीजी के पास गए थे। महात्मा गांधी की हत्या के बाद वे लेखन कार्य में ही अधिक रत रहे।
जीवन के अंतिम 8-10 वर्षों में उन्होंने नेत्रहीन अवस्था में पांच पुस्तकें बोलकर लिखीं। उन्होंने अपने जीवन दरमियान करीबन ३२०० से ज्याद अलग अलग भाषा में पुस्तके लिखी | ‘ग्लोकोमा’ के कारण उनके दोनों नेत्रों की ज्योति जाती रही थी।
दो जून सन् 1990 को गंगा दशहरा के दिन पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ब्रह्मलीन हुए थे। तब से शांतिकुंज में गंगा दशहरा के साथ गायत्री जयंती और आचार्य पंडित श्रीराम शर्मा का महानिर्वाण दिवस साथ-साथ मनाया जाता है। शुक्रवार को इस अवसर पर शांतिकुंज में तीन दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी ने अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना शांतिकुज नाम से हरिद्वार में की थी |गंगा नदी के किनारे बहुत ही विशाल जगा पर माँ गायत्री का मंदिर की स्थापन की है| इसके अतिरिक्त उनके दामाद श्रेद्धेय डॉ .प्रणव पंड्याजी ने उनका बहुत विकास किया और पूरी दुनिया में गायत्री परिवार के जरिये भारतीय संस्कृति की मिशाल कायम की है |
उन्हों ने बच्चे आगे पढ़ शके इस हेतु से विश्व विद्यालय की भी स्थापना की हे | एक बार हरिद्वार जाए तो शांतिकुंज और विश्वविद्यालय की मुलाकात जरुर ले। गुरु नानक देव को नए धर्म यानी सिख धर्म का संस्थापक माना जाता था और वे सिखों के पहले गुरु थे। वह एक महान भारतीय आध्यात्मिक नेता थे।
उनकी शिक्षाएं के प्रति उनकी भक्ति का तरीका दूसरों से अलग था और सभी धर्मों के लोग उनका और उनकी शिक्षाओं का सम्मान करते हैं। इस बार 19 नवंबर 2021 को गुरुपुरब गुरुनानक देव के जन्मदिन की खुशियाँ ,महोत्सव एवं सिखो के द्वारा त्यौहार मनाया जायेगा। जानिए पूरी कहानी गुरुपुरब के बारे में।
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