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Ratna Parichay Pdf / रत्न परिचय पीडीएफ
सिर्फ पढ़ने के लिए
हे माता! अब धीरज रखकर श्री रघुनाथ जी का संदेश सुनिए। ऐसा कहकर हनुमान जी प्रेम से गदगद हो गए और उनके नयन में प्रेम का जल भर गया।
चौपाई का अर्थ-
हनुमान जी बोले – श्री राम जी ने कहा है कि हे सीते! तुम्हारे वियोग में मेरे लिए सभी पदार्थ प्रतिकूल हो गए है। वृक्षों के नए और कोमल पत्ते मानो अग्नि के समान, रात्रि कालरात्रि के समान, चन्द्रमा सूर्य के समान।
और कमल के वन काँटों के वन के समान हो गए है। मेघ मानो खौलते हुए तेल की बरसात कर रहे है। जो सभी हित करने वाले थे वही अब पीड़ा देने लगे है। त्रिविध (शीतल, मंद, सुगंध) वायु सांप के स्वांस के गरम हो गयी है।
मन का दुःख कह देने से भी कुछ घट जाता है। पर कहूं किससे? यह दुःख कोई नहीं जानता? हे प्रिये! मेरे और तेरे प्रेम का तत्व एक मेरा मन ही जानता है और वह मन सदा तेरे ही पास रहता है।
बस मेरे प्रेम का सार इतने में ही समझ ले। प्रभु का संदेश सुनते ही सीता जी प्रेम में मग्न हो गयी उन्हें अपने शरीर की सुध न रही। हनुमान जी ने कहा – हे माता! हृदय में धैर्य धारण करो।
सेवक को सुख देने वाले श्री राम जी का स्मरण करो। श्री रघुनाथ जी की प्रभुता को हृदय में लाओ और मेरे वचन सुनकर कायरता का त्याग करो।
15- दोहा का अर्थ-
राक्षसों के समूह पतंगो के समान और श्री रघुनाथ जी सूर्य के तेज के समान है। हे माता! हृदय में धैर्य धारण करो और राक्षसों को खत्म हुआ ही समझो।
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