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Sai Baba Vrat Katha Hindi Pdf 

 

 

 

 

 

 

Sai Baba Vrat Katha Hindi

 

 

 

 

भारत की पुण्य भूमि सदियों से महान आत्माओ की जन्म भूमि रही है। समय-समय पर इस पावन भूमि पर कई पुण्यात्माओं ने यहां आकर लोक कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। भारत की इस पावन भूमि शिरडी में साई बाबा अवतरण हुआ था।

 

 

 

वह भी सिद्ध महात्मा थे सदैव ही समाज के दुखी लोगो की सेवा के लिए प्रयत्नशील रहते थे। सभी सिद्ध पुरुषो में साई बाबा एक थे। जन मानस में उन्हें देवत्व प्राप्त हुआ है। इनकी पूजा के विधान में उच्च और निम्न के लिए कोई स्थान नहीं है। इनकी पूजा कोई भी व्यक्ति कर सकता है।

 

 

 

उनकी नजर में सभी लोग समान है। साई बाबा का एक ही वाक्य था ‘सबका मालिक एक है’ साई बाबा की पूजा गुरुवार के दिन शुरू करने का विधान है।

 

 

 

साई बाबा की मूर्ति की पूजा सुबह या शाम को की जाती है। साई बाबा की मूर्ति को पीले आसन पर रखकर पीले फूल अर्पित करने चाहिए।

 

 

 

फल या मिष्ठान्न अर्पण करने के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए। नौ गुरुवार तक पूजा पूर्ण होने पर पांच व्यक्तियों को भोजन कराते हुए दान दक्षिणा देकर इस व्रत का समापन करना चाहिए।

 

 

 

साई बाबा व्रत कथा

 

 

 

मालती और उसका पति सुरेश दोनों शहर में रहते थे। सुरेश स्टेशनरी की दुकान चलाता था। उसकी औरत मालती शांत स्वभाव की एक धार्मिक महिला थी। समय के चक्र के साथ सुरेश की दुकान में नुकसान होने लगा। उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया। प्रतिदिन मालती और सुरेश के बीच कलह होने लगी।

 

 

 

सुरेश एक दिन कही गया हुआ था। मालती घर के कार्य निपटा रही थी। उसी समय एक वृद्ध मालती के द्वार पर आकर दाल चावल की मांग करने लगे। आवाज सुनकर मालती बाहर आयी तो देखा एक वृद्ध पुरुष खड़ा है। उसके चेहरे पोर तेज चमक रहा था।

 

 

 

मालती ने उन्हें प्रणाम किया वृद्ध पुरुष ने आशीर्वाद दिया ‘साई सदा सुखी रखे’ मालती बोली – महाराज! मेरी किस्मत में सुख कहां है? उसने अपनी सारी व्यथा उस वृद्ध पुरुष से कह दिया। वृद्ध पुरुष मालती से बोले – तुम साई बाबा की आराधना करो।

 

 

 

नौ गुरुवार एक समय भोजन या फलाहार करते हुए साई बाबा की पूजा करो अगर हो सके तो साई मंदिर भी चले जाना। नौवे गुरुवार को विधि-विधान से उद्यापन करना। भूखे को भोजन कराना तथा साई बाबा के ऊपर श्रद्धा और विश्वास रखना साई बाबा तुम्हारी इच्छा अवश्य ही पूर्ण करेंगे।

 

 

 

मालती गुरुवार से साई बाबा की पूजा और व्रत करने लगी। नौवे गुरुवार को भूखे को भोजन कराया और व्रत का उद्यापन किया। उसके घर में पहले की भांति सुख और शांति का आगमन हो गया। उसके पति सुरेश का रोजगार भली प्रकार चलने लगा। सुख पूर्वक दोनों का जीवन व्यतीत होने लगा।

 

 

 

मालती के जेठ और उसकी पत्नी बड़ोदा से घर आये हुए थे। उसकी जेठानी ने बताया कि उसके बच्चे पढ़ाई नहीं करते है तथा परीक्षा में फेल हो गए। मालती ने उसे भी नौ गुरुवार की महिमा बताई और कहा साई बाबा की भक्ति से उसकी बच्चो की आदत में अवश्य बदलाव होगा।

 

 

 

वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान देंगे तथा पास भी हो जायेंगे लेकिन साई बाबा के ऊपर विश्वास करना जरूरी है। कुछ समय के बाद ही बड़ोदा से उसकी जेठानी का पत्र आया कि उसके बच्चे साई बाबा का व्रत करते है तथा अच्छी तरह से पठन पाठन करते है तथा स्वयं भी साई बाबा का व्रत करती है। एक औरत ने साई बाबा का व्रत किया था तो उसकी लड़की का रिश्ता अच्छी जगह हो गया। मालती समझ गयी थी यह सब साई बाबा का चमत्कार है।

 

 

 

साईं बाबा व्रत कथा Pdf Download

 

 

 

 

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