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Saundarya Lahari In Hindi Pdf
एक समय किसी ने आद्य शंकराचार्य के ऊपर विष का प्रयोग कर दिया था उस विष का प्रभाव बहुत ही विकट था। आद्य शंकराचार्य ने आर्द रूप से माँ जगदम्बा का स्मरण किया ,उनके मुंख से निकले हुए आर्द स्वर ही सौंदर्य लहरियो का रूप ले रहे थे। स्वर लहरी का १०० वां श्लोक पूर्ण होने से पहले ही जगदम्बा भवानी ने अपने वरद पुत्र को असाध्य विष के प्रकोप मुक्त से करा दिया था।
आद्य शंकराचार्य का प्रभाव बहुत दूर तक फ़ैल गया था। एक बार तांत्रिक अभिनव शास्त्री ने शंकराचार्य को शास्त्रार्थ के लिए बुलाया था ,शंकराचार्य की किसी बात से क्षुब्ध होकर तांत्रिक अभिनव शास्त्री क्रोधित हो कर बोले -प्रत्यक्ष के लिए चाहते हो सन्यासी ?
युवा सन्यासी आत्म विश्वास से भर कर बोले -शास्त्रार्थ में केवल तर्क ही प्रत्यक्ष दिखता है और कुछ भी प्रत्यक्ष नहीं है ,आचार्य ,आपको अपने पराजय पत्र पर हस्ताक्षर करना ही उचित होगा ,क्योंकि आप तर्क विहीन कल्पना कर रहें है।
तांत्रिक अभिनव शास्त्री अपने उत्तरीय से ललाट के त्रिपुण्ड पर आये हुए (स्वेद ) विन्दुओं को पोछते हुए क्रोध पूर्वक बोले -मैं पराजय पत्र पर हस्ताक्षर करूं ?-मदांध युवक -ए बाहुएँ पराजय पत्र का आलेख लिखेंगी ,जो अपनी तंत्र साधना से त्रिलोक को झुकाने की सामर्थ्य रखता है ?
शंकराचार्य ने विनम्र भाव से अभिनव शास्त्री से कहा -आपकी यह आहत वाणी अपने अहंकार का मान रखने भर की एक कोशिश है। शंकर को तो शास्त्रार्थ में पराजित विद्वान् का हस्ताक्षर पत्र ही चाहिये।
तांत्रिक अभिनव शास्त्री अपने विचारों के झंझवात से कम्पित हो रहे थे। उन्हों ने समस्त पंडित समूह को सम्बोधित करते हुए बोले -हमारा यह पराजय पत्र तब तक न लिया जाय ,जब तक मेरा तंत्र इस पराजय का कलंक न धो डाले। लेकिन युवक शंकर ने अभिनव शास्त्री के तंत्र प्रयोग को जानते -समझते हुए भी अपने हठ का त्याग नहीं किया।
भक्ति और तंत्र के मध्य विचारों की पराकाष्ठा थी ,कोई भी झुकने को तैयार नहीं था लेकिन भक्ति प्रबल थी ,तंत्र को पराजय स्वीकार करनी पड़ी ,ऐसे महान थे आद्य शंकराचार्य।
सौंदर्य लहरी Pdf Download


पुस्तक का नाम | Saundarya Lahari In Hindi Pdf |
पुस्तक के लेखक | स्वामी विष्णु तीर्थ महाराज |
भाषा | हिंदी |
साइज | 20 Mb |
पृष्ठ | 415 |
श्रेणी | भक्ति, धर्म |
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