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सिर्फ पढ़ने के लिये 

 

 

 

मिलन भोजन खाकर पानी पीया और फल खाया। बहुत देर तक चलने के कारण मिलन श्रमित हो गया था। वह वट वृक्ष की छाया में लेट गया श्रम के कारण उसे तुरंत नींद आ गयी। संध्या का समय हो गया था। मिलन की नींद टूट चुकी थी। वह खुद को स्वर्ण पर्वत के एकदम नजदीक देखकर प्रसन्न हो गया।

 

 

 

 

स्वर्ण पर्वत के पास तक पहुँचने के लिए किसी अदृश्य शक्ति ने उसे सहायता प्रदान कर दिया था। रात्रि हो गयी थी। मिलन बिना किसी उद्देश्य के स्वर्ण पर्वत के ऊपर विचरण करने लगा। मिलन को उस पर्वत के नीचे से आवाज सुनाई दे रही थी।

 

 

 

 

कोई कह रहा था – इस पर्वत के ऊपर कोई मनुष्य विचरण कर रहा है वह हमारी सारी गतिविधियों को देख रहा है लेकिन यह कैसे संभव है? एक आवाज सुनाई पड़ी। उस विचित्र आवाज में कोई कह रहा था कि मैं अपनी मंत्र शक्ति से उसे देख रहा हूँ।

 

 

 

 

दूसरे की आवाज सुनाई पड़ी – क्या आप उसे यहां से हटा नहीं सकते? मिलन को अंदाज हो गया था कि मंत्र शक्ति की बात करने वाला विचित्र व्यक्ति शायद कोई तांत्रिक था। मिलन उस पर्वत के भीतर  प्रयास में एक पत्थर को हटाने का प्रयास करने लगा।

 

 

 

 

थोड़ा सा प्रयास करने पर ही वह पत्थर हट गया। वहां एक बड़ा सा रिक्त स्थान बन गया। उस रिक्त स्थान से मिलन को स्वर्ण पर्वत के भीतर का सारा दृश्य दिखाई देने लगा। अंदर बहुत सारे विचित्र जीव थे। उन सभी के हाथ कंगारू की भांति छोटे थे और पैर बड़े थे।

 

 

 

 

उनकी मुखाकृति मनुष्यो की भांति थी। उनकी कमर पर बाघ की भांति पूंछ उगी हुई थी। खड़े होते समय वह अपने दोनों पैरो पर खड़े रहते थे लेकिन दौड़ने के लिए वह सभी कंगारुओं की भांति उछलते हुए दौड़ते थे। उनके हाथ और पैरो में बहुत नुकीले और बड़े-बड़े नाख़ून थे।

 

 

 

 

तांत्रिक से जो बात कर रहा था वही शायद सभी विचित्र जीव का मुखिया था। उन सभी की विचित्र बातो को मिलन अंगूठी के प्रभाव से उनकी बातो को सही प्रकार से समझ रहा था। तांत्रिक मुखिया से कह रहा था – मैंने अपनी तांत्रिक विद्या से पता लगाया है इस मनुष्य से हमे किसी प्रकार का खतरा नहीं है।

 

 

वह प्रबोधनंद महात्मा के पास जा रहा है भटकने की वजह से यहां आ गया है। वह विचित्र जीव मुखिया अपने तांत्रिक से पूछा – क्या हम लोगो को उसकी सहायता करनी चाहिए? विचित्र तांत्रिक बोला – उस मनुष्य की शक्ति हमसे प्रबल है कोई अदृश्य शक्ति उसकी सहायता कर रही है।

 

 

 

 

हम उसे देखने में समर्थ नहीं है तब उसकी सहायता कैसे कर सकते है? मिलन समझ गया था कि यह विचित्र जीव उसे हानि पहुंचाने में सफल नहीं हो सकते है अतः उसने पत्थर को उसने पुनः रिक्त स्थान पर लगा दिया। वह स्थान पूर्व की अवस्था में आ गया।

 

 

 

 

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