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सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

निशा बोली कोमल इन अभावग्रस्त बच्चो को खिलौना इत्यादि देने के लिए मना मन किया करो क्या तुमने देखा कि इन अभावग्रस्त बच्चो के चेहरे कितना खिल जाते है खिलौने और बिस्किट मिलने पर? भगवान ने हमे कितने दिन के बाद यह ख़ुशी दिया है अतः इन बच्चो की ख़ुशी को हमे नहीं छीनना चाहिए।

 

 

 

 

निशा की बात सुनकर कोमल को अपना दिन याद आने लगा कि एक दिन तो वह भी इन्ही अभावो से लड़ रही थी। रोशन अब एक साल का हो गया था। अचानक से उसकी तबीयत खराब हो गयी। वह रोशन को आगरा के सबसे बड़े सैनिक अस्पताल में भरती करवा चुकी थी।

 

 

 

 

विपिन खुद एक सैनिक रह चुके थे। सैनिक अस्पताल में तो सुविधा का कोई अभाव नहीं था परन्तु वहां भी किसी भी डा. को रोशन की बीमारी समझ में नहीं आ रही थी फिर भी वह सब अथक प्रयास कर रहे थे। विपिन वहां चौबीसो घंटे मौजूद रहते थे।

 

 

 

 

निशा अपने घर आयी हुई थी सरिता उनके साथ में थी। सरिता को देखकर गरीब घर के बच्चे खेलने की गरज से वहां आ गए थे कि शायद कुछ खिलौने और बिस्किट इत्यादि मिल जायेंगे। निशा सरिता को न देखकर बाहर निकल आयी तो देखा सरिता उन छोटे बच्चो को बता रही थी कि उसके छोटे भाई की तबीयत खराब है तो वह सब बच्चे भी उदास हो गए।

 

 

 

 

तभी निशा भारती वहां आयी और उन बच्चो से बोली कि रोशन की तबीयत खराब है तुम लोग उसके साथ नहीं खेल पाओगे। परन्तु यह खिलौने और बिस्किट इत्यादि अपने पास रख लो तुम लोग के काम आएंगे। लेकिन आंटी छोटू के बिना तो हमारे लिए इन खिलौने और बिस्किट का कोई महत्व ही नहीं है।

 

 

 

 

एक छोटी बच्ची जो सरिता की हम उम्र थी यह बात उसने ही कहा था। उस छोटी सी लड़की की मुंह से इतनी बड़ी बात सुनकर निशा भारती उसका मुंह देखने लगी। वह छोटी लड़की बोली आंटी छोटू जरूर ठीक हो जायेगा हम लोग उसके साथ ही यह बिस्किट खाएंगे तथा इन खिलौनों से खेलेंगे।

 

 

 

 

लेकिन निशा भारती उन बच्चो को बहुत सारी खाने की वस्तुए देकर विदा कर दिया। आगरा के सबसे बड़े सैनिक अस्पताल के डा. परेशान थे उन्हें रोशन के मर्ज का पता ही नहीं लग रहा था। रोशन बेसुध होकर पड़ा था। उसके पास ही प्रदीप भी खड़े थे जो रोशन के पिता थे।

 

 

 

 

तभी वहां निशा भारती आ गयी थी। वह भी रोशन की हालत देखकर परेशान हो गयी थी लेकिन जाको राखे साइयां कुछ देर के बाद रोशन की आँख खुली वह शायद निशा भारती को देख रहा था जो उसकी मां थी। सभी डा. रोशन की जाँच करने लगे। उसके शरीर के सभी अंग काम कर रहे थे।

 

 

 

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