Shiksha Manovigyan P. d. Pathak Pdf / शिक्षा मनोविज्ञान पी. डी. पाठक Pdf

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Shiksha Manovigyan P. d. Pathak Pdf Download

 

 

 

पुस्तक का नाम Shiksha Manovigyan
पुस्तक के लेखक  P. d. Pathak
भाषा  हिंदी 
साइज  18.9 Mb 
पृष्ठ  566 
फॉर्मेट  Pdf 
श्रेणी  मनोवैज्ञानिक 

 

 

 

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सुमन और सुलेखा ने मिलन से कहा – पहले स्वर्ण आम लेकर महारानी कुमुद को देना होगा उसके पश्चात ही स्थिति के अनुसार निर्णय करना होगा। मिलन बोला – हम लोग आज ही स्वर्ण आम लेकर परीलोक के लिए प्रस्थान करेंगे। कुछ समय पश्चात मिलन के साथ सुमन और सुलेखा भी उस सरोवर पर गए जहां स्वर्ण आम का वृक्ष था।

 

 

 

 

मिलन सरोवर पर जाने से पहले ही अपनी शक्तियों के माध्यम से वहां का वातावरण नियंत्रित कर चुका था। स्वर्ण आम को देखकर सुमन और सुलेखा दोनों बहुत प्रसन्न थी। अति प्रसन्नता के साथ ही वह दोनों बहुत सारे स्वर्ण आम तोड़ने का प्रयास करने लगी।

 

 

 

 

मिलन उनका प्रयास देखकर बोला – केवल पांच स्वर्ण आम लेकर हमे यहां से तुरंत परीलोक के लिए प्रस्थान करना चाहिए अन्यथा कठिनाई उत्पन्न हो सकती है। सुमन और सुलेखा ने पांच स्वर्ण आम तोडा फिर मिलन के साथ परीलोक के लिए प्रस्थान कर गयी।

 

 

 

 

उन सभी के जाने के पश्चात् सरोवर पर बहुत उथल पुथल मच गयी लेकिन यह सब देखने के लिए उन तीनो के पास समय का अपव्यय करना उचित नहीं था। परीलोक में जाने से पहले ही मिलन ज्योति स्वरूपा किन्नर बन चुका था। समय से पहले ज्योति स्वरूपा के साथ सुमन परी और रानी परी सुलेखा को स्वर्ण आम के साथ दरबार में उपस्थित देखकर महारानी कुमुद बहुत प्रसन्न थी।

 

 

 

 

महारानी के दरबार में नृत्य संगीत प्रायः होता रहता था लेकिन स्वर्ण आम की प्राप्ति की प्रसन्नता के अवसर पर महारानी कुमुद ने परीलोक में घोषणा करा दिया कि तीसरे दिन दरबार में नृत्य संगीत का विशेष आयोजन किया जायेगा।

 

 

 

 

संध्या के समय सभी परियां और किन्नर दरबार में नृत्य संगीत का आनंद प्राप्त करने के लिए उपस्थित हो गए। परीलोक का सबसे विख्यात बाद्ययन्त्र बजाने वाला मनोहर नामक किन्नर बाद्ययंत्रो से सुमधुर ध्वनि उत्पन्न कर रहा था। नृत्य कला में प्रवीण परियां अपने नृत्य कौशल प्रस्तुत करने वाली थी।

 

 

 

 

सभी नृत्यांगनाओं का नृत्य थम गया था। अब नृत्य प्रस्तुत करने की बारी थी विख्यात नृत्यांगना और खूबसूरत परी सुमन की। ज्योति स्वरूपा किन्नर इसी अवसर की प्रतीक्षा में थी। सुमन परी का नृत्य शुरू हुए अभी कुछ समय ही व्यतीत हुआ था कि ज्योति स्वरूपा किन्नर बोल उठी कि नृत्य के अनुरूप बाद्ययंत्रो का प्रयोग नहीं हो रहा है।

 

 

 

 

लेकिन किन्नर ने बातो पर ध्यान दिए बिना कुशलता के साथ बाद्य यंत्रो का प्रयोग करता रहा। कुछ समय के उपरांत ज्योति स्वरूपा ने फिर वही वाक्य दुहरा दिया कि नृत्य के अनुरूप बाद्य यंत्रो का प्रयोग नहीं हो रहा है। ज्योति स्वरूपा किन्नर ने कई बार मनोहर के बाद्य कला की उपेक्षा किया।

 

 

 

 

ज्योति स्वरूपा की बातो से उपेक्षित होकर मनोहर किन्नर बाद्य यंत्रो को छोड़कर उठ गया और महारानी कुमुद से बोला – महारानी! अब मैं अधिक उपेक्षा सहन नहीं कर सकता हूँ आप ज्योति स्वरूपा से ही बाद्य यंत्रो का उपयोग करने के लिए कह दीजिए।

 

 

 

 

महारानी कुमुद ने ज्योति स्वरूपा से कहा – क्या तुम इस बाद्य यंत्रो का उपयोग मनोहर से अच्छा कर सकती हो? ज्योति स्वरूपा महारानी से बोली – हम मनोहर से अवश्य ही अच्छा कर सकते है। महारानी बोली – तो विलंब किये बिना तुम संगीत का संचालन करो।

 

 

 

 

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