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Shishupalvadham PDF
लोगो को देखते ही देखते सूर्य की किरणे धरती पर छा गयी। ऐसा लगता है मानो सूर्य भगवान कुछ देर के लिए पृथ्वी पर पैर लटकाकर उदयाचल रूप सिंहासन पर विराजमान है। इधर संसार के जीव उनका ऐसा भव्य दर्शन पाकर प्रसन्न हो उठे और उन्हें प्रणाम करने लगे है।
यह देखकर उन्हें सम्पूर्ण धरतीतल को एक बार घूमकर देख आने की लालसा हो गयी है। मानो इसी कारण से वे अपने उदयाचल रूपी सिंहासन से उठ खड़े हुए है। प्रजा हितैषी राजा महाराज लोग ठीक इसी प्रकार करते ही है। थोड़ी देर तक प्रजाजन को दर्शन देने के लिए सिंहासन पर नीचे की ओर पैर रखकर विराजमान होते है।
और फिर थोड़ी देर प्रजा का प्रणाम ग्रहण कर अपने सम्पूर्ण राज्य का दौड़ा करने के लिए उठ खड़े होते है। इसी प्रकार माघ का प्रकृति वर्णन सर्वत्र अलंकारों से विभूषित है। कोई भी दृश्य बिना किसी नवनीता नहीं चित्रित किया गया है। वृक्षों, लताओं, पर्वतो और नदियों के वर्णनो में उन्होंने उद्दीपन विभाव की चरम अभिव्यक्ति की है।
श्रृंगार रस के तो वे सिद्धहस्त कवि थे। उनका वन विहार तथा जल क्रीड़ा वर्णन अपने ढंग या अनूठा है। माघ के मानवीय आचार विचार शास्त्रानुमोदित तथा भारतीय परंपरा से अनुप्राणित थे। कही भी उन्होंने शिष्टाचरण का अतिक्रमण नहीं किया है। डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी बटन पर क्लिक करे।
पुस्तक का नाम | शिशुपाल वध महाकाव्य Pdf |
पुस्तक के लेखक | राम प्रताप त्रिपाठी |
भाषा | हिंदी |
साइज | 10.5 Mb |
पृष्ठ | 583 |
Shishupalvadham PDF Download
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