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Shiv Bhajan Sangrah Pdf Download
पुस्तक का नाम | Shiv Bhajan Sangrah Pdf |
पुस्तक के लेखक | – |
भाषा | हिंदी |
फॉर्मेट | |
साइज | 3.1 Mb |
पृष्ठ | 68 |
श्रेणी | धार्मिक |
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सिर्फ पढ़ने के लिये
सभी लोग भिन्न-भिन्न प्रकार के पुष्पों की वाटिकाएँ लगा रखी है जिनमे अनेक प्रकार की सुंदर और ललित लताये सदा बसंत की तरह फूलती रहती है। भौरे मनोहर स्वर में गुंजार करते है। सदा तीन प्रकार की सुंदर वायु बहती है। बालको ने बहुत से पक्षी पाल रखे है जो मधुर बोली बोलते है और उड़ने में सुंदर लगते है।
मोर, हंस, सारस और कबूतर घरो के ऊपर शोभयमान है। वह पक्षी मणियों की दीवारों और छत में अपनी परछाई देखकर बहुत प्रकार से मधुर बोली बोलते हुए नृत्य करते है। बालक तोता, मैना को पढ़ाते है कि कहो ‘राम’ ‘रघुपति’ ‘जन पालक’ राजद्वार सब प्रकार से सुंदर है। गलियां बाजार और चौराहे सभी सुंदर है।
सुंदर बाजार है, जो वर्णन करते नहीं बनता है वहां वस्तुए बिना मूल्य ही मिलती है। जहां स्वयं लक्ष्मीपति राजा हो वहां की संपत्ति का वर्णन कैसे किया जाय? कपड़े का व्यापार करने वाले बजाज, रुपये-पैसे का लेन-देन करने वाले सराफ आदि वणिक बैठे हुए ऐसे जान पड़ते है मानो अनेक कुबेर हो। स्त्री, पुरुष, बच्चे, बूढ़े जो भी है सदाचारी और सुंदर है।
नगर के उत्तर दिशा में सरयू जी बह रही है जिनका जल निर्मल और गहरा है ,मनोहर घाट बंधे हुए है। किनारे पर जरा भी कीचड़ नहीं है।
अलग कुछ दूरी पर वह सुंदर घाट है जहां घोड़े और हाथियों के समूह जल पिया करते है। पानी भरने के लिए बहुत से घाट है जो बड़े ही मनोहर है। वहां पुरुष स्नान नहीं करते। राजघाट सब प्रकार से सुंदर और श्रेष्ठ है जहां चारो वर्णो के पुरुष स्नान करते है। सरयू जी के किनारे पर देवताओ के मंदिर है जिनके चारो ओर सुंदर उपवन है।
नदी के किनारे कही-कही विरक्त और ज्ञान परायण मुनि और सन्यासी निवास करते है। सरयू जी के किनारे सुंदर तुलसी जी के बहुत से पेड़ मुनियो ने लगा रखे है। नगर की शोभा कही नहीं जाती है। नगर के बाहर भी परम सुंदरता है। श्री अयोध्यापुरी के दर्शन करते ही सम्पूर्ण पाप भाग जाते है। वहां वन, उपवन बावलियां और तालाब सुशोभित है।
अनुपम बावलियां तालाब और मनोहर तथा विशाल कुए शोभा दे रहे है। जिनकी सुंदर रत्नो की सीढ़ियां और निर्मल जल देखकर देवता और मुनि सभी मोहित हो जाते है। तालाबों में अनेक रंगो के कमल खिल रहे है अनेक पक्षी कूज कर रहे है और भौरे गुंजार कर रहे है। परम रमणीय बगीचे कोयल आदि पक्षियों की सुंदर बोली से मानो राह चलने वालो को बुला रहे है।
स्वयं लक्ष्मीपति भगवान जहां राजा हो उस नगर का वर्णन नहीं किया जा सकता है? अणिमा आदि आठो सिद्धियां और समस्त सुख सम्पत्तियाँ अयोध्या उमड़ पड़ी है।
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