सोमवार व्रत कथा Pdf | Somvar Vrat Katha in Hindi Pdf

सोमवार व्रत कथा भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। इस पोस्ट पर आप Somvar Vrat Katha in Hindi Pdf पा जाएंगे और इसे आप नीचे की लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं और आप यहां से विष्णु भगवान की व्रत कथा Pdf Download कर सकते हैं।

 

 

 

Somvar Vrat Katha Pdf

 

 

 

 

 

 

 

एक नगरमें  एक व्यापारी रहता था वह निः सन्तान था। रात -दिन उसे यही चिंता रहती थी कि उसके बाद उसका इतना बड़ा व्यापर कौन संभालेगा ?वह वणिक हर सोमवार को शिव मंदिर में जाकर शिव की उपासना किया करता था,और घी का दीपक जलाता था। उसकी भक्ति देख कर  भवानी गौरी का दिल द्रवित हो गया ,उन्होंने महेश्वर से कहा ,हे महादेव ! आप इस वणिक की मनो कामना को पूर्ण करिये।

 

 

 

महेश्वर बोले -प्रिये ,इस नश्वर संसार में सभी अपने कर्मों का फल भोगने के लिए बाध्य हैं। सभी लोंगो को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है। इस वणिक को पुत्र प्राप्ति का संयोग नहीं है। माता गौरी के बार -बार आग्रह करने से महादेव ने कहा -प्रिये -तुम्हारे आग्रह से मैं इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दूंगा परनतु उसका पुत्र १६ वर्ष तक ही जीवित रहेगा।

 

 

 

 

एक दिन रात्रि के स्वप्न में महेश्वर ने उस वणिक को पुत्र प्राप्ति के बारे में बताया साथ में यह भी कहा कि तुम्हारा पुत्र केवल १६वर्ष तक ही जीवित रहेगा। वणिक पहले तो बहुत खुश हुआ लेकिन कुछ क्षण में उसकी ख़ुशी काफूर हो गई। समय बीतने के साथ ही उसे एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई ,उसके घर में खुशियां भर गई ,वणिक ने अपने पुत्र की १२वर्ष की अवस्था में उसके मामा के साथ शिक्षा ग्रहण करने के लिए कशी क्षेत्र वाराणसी भेज दिया।

 

 

 

वह दोनों मामा भान्जा अपनी यात्रा के दौरान जहाँ भी रुकते वहां यज्ञ करते और ब्राह्मणो को दान -दक्षिणा भी देते। काफी लम्बी यात्रा करने के पश्चात वह दोनों (मामा -भान्जा )एक नगर में पहुंचे वहां के राजा की कन्या का विवाह था ,तय समय पर बारात आ गई ,बारात एक सराय में रुकी हुई थी उस सराय में ही -(मामा -भान्जा )रुके हुए थे। बारात में जो दूल्हा था वह (एक नयन )यानि की एक आँख से काना था दूल्हे के पिता को बहुत डर था कि  भेद खुल जाने पर उसके लड़के की शादी नहीं हो सकेगी तथा बदनामी भी होगी।

 

 

 

उसने सराय में रुके हुए सुंदर लड़के को देख कर उसके मामा से कहा -मैं आप के साथ आये हुए लड़के की शादी करना चाहता हूँ ,लेकिन शादी के बाद मैं आप को धन -दौलत दे कर विदा कर दूंगा तथा वहू को मैं अपने लड़के के साथ ले जाऊंगा। मामा बहुत लालची था उसने अपने भान्जे की शादी के लिए हामी भर दिया।

 

 

 

लड़के के पिता ने मामा के भान्जे को दूल्हे की पोशाक पहना कर उसे विवाह मंडप में ले गया ,इतना सुंदर दूल्हा देख कर  सभी लोग खुश थे ,तय समय में शादी संपन्न हो गई शादी के बाद जब लड़का (भान्जा ) राजकुमारी के साथ वापस आ रहा था तब उसने राजकुमारी के ओढ़ने वाली चादर पर लिख दिया (मैं बाराणसी में शिक्षा ग्रहण करने जा रहा था ) इन बारतीयो ने तुम्हारे साथ मेरा विवाह करा दिया अब हमें पुनः शिक्षा केलिए (बाराणसी जाना है ) अब तुम्हें जिस नवयुवक की पत्नी बनकर जाना होगा वह (एक नयन )अर्थात काना है।

 

 

 

लिखा हुआ यह शव्द जब राजकुमारी ने पढ़ा तो उसने -एक नयन -के साथ जाने से इन्कार कर दिया। उधर मामा अपने भान्जे को लेकर बाराणसी के लिए प्रस्थान कर दिया ,वहां पहुंच कर भान्जे को पढ़ने के लिए गुरु कुल में नाम लिखवा दिया। शिक्षा ग्रहण करते हुए उसकी आयु १६ वर्ष की हो गई। १६ वर्ष का होने पर मामा ,भान्जे ने यज्ञ किया और ब्राह्मणो को बहुत सारा धन दान में दिया ,रात्रि के समय भोजन के उपरांत शयन करते समय उस लड़के के प्राण -पखेरू उड़ गए।

 

 

 

प्रातः काल होने पर मामा अपने भान्जे की मृत्यु पर करुण क्रंदन करने लगा वहां सभी लोग एकत्र होकर शोक प्रकट करने लगे। मामा के करुण क्रंदन को सुन कर  भवानी गौरी (जो महादेव के साथ जा रहीं थी )ने कहा -हे प्रभो !आप इस लड़के को जीवन दान दे दीजिये ,मुझसे इस व्यक्ति का विलाप नहीं सहन हो रहा है। महेश्वर बोले -हे प्रिये !यह तो वही बालक है जिसे मैंने १६ वर्ष की आयु का वरदान दिया था ,आज उसकी आयु पूर्ण हो गई।

 

 

 

भवानी गौरी के बारम्बार आग्रह करने पर महादेव ने उस वणिक पुत्र को पुनः जीवन दे दिया ,वणिक पुत्र जीवित होकर अपने मामा के साथ घर के लिए चल पड़ा ,चलते हुए दोनों उसी नगर में पहुंचे ,जहाँ उसकी शादी हुई थी ,वहां यज्ञ का आयोजन किया गया था। यज्ञ स्थल पर पहुंचने पर राजा ने उस लड़के को पहचान लिया। यज्ञ की समाप्ति पर राजा उन दोनों को अपने महल ने ले गया ,कुछ समय के पश्चात् राजा ने उस लड़के और उसके मामा को बहुत सारा धन दे कर अपनी पुत्री के साथ विदा कर दिया।

 

 

 

अपने नगर में वणिक अपनी पत्नी के साथ अन्न -जल त्याग कर अपने पुत्र के आने की रह देख रहा था ,और प्रतिज्ञा कर रखा था कि यदि उसका पुत्र जीवित नहीं लौटा तब वह अपने प्राण त्याग देगा। किसी ने आकर उस वणिक से कहा -तुम्हारा पुत्र सकुशल वापस आ रहा है। वणिक अपनी स्त्री और सगे सम्बन्धियों को लेकर नगर के द्वार पर स्वागत करने के लिए गया। वणिक अपने पुत्र और पुत्रवधू को देख कर बहुत प्रसन्न हुआ ,उसी दिन रात्रि में महेश्वर ने वणिक को स्वप्न में कहा -हे वणिक !मैं तुम्हारे (सोमवार व्रत और कथा) के श्रवण से प्रसन्न होकर तुम्हारे पुत्र को दीर्घायु प्रदान कर दिया हूँ।

 

 

 

महादेव की वाणी सुन कर  वणिक बहुत प्रसन्न हुआ और दूने उत्साह से सोमवार का व्रत करने लगा। महेश्वर शंकर की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हुए ,सोमवार का व्रत करने से सभी की मनोकामनाएं महेश्वर पूर्ण करते है।

 

 

 

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पुस्तक का नाम  सोमवार व्रत कथा Pdf
भाषा  हिंदी 
साइज  18.26 Mb 
पृष्ठ  76
श्रेणी  धार्मिक 
पुस्तक के लेखक 

 

 

 

 

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