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Pradosh Vrat Katha Pdf

 

 

 

 

 

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिये 

 

 

 

मिलन को एक वृक्ष के नीचे प्रकाश दिखाई दिया वह उधर ही बढ़ गया। वह एक बड़ा पीपल का वृक्ष था। उसके ऊपर विभिन्न प्रकार के पक्षी अपना बसेरा बनाये हुए थे। उनमे एक हंस का जोड़ा भी था। मिलन उस पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर विश्राम करने लगा।

 

 

 

 

पीपल के वृक्ष के ऊपर हंस अपने साथी से कह रहा था। हमारे राजा ने कहा कि इस पीपल के वृक्ष के नीचे एक दिन कोई मनुष्य आएगा तुम्हे उसकी सहायता के लिए वहां प्रकाश की व्यवस्था और फल की व्यवस्था करना होगा। वह मनुष्य किसी को ढूंढ रहा है इसलिए हमने उसकी सहायता के लिए ही अपनी राजा की आज्ञा का पालन किया है।

 

 

 

 

 

हंस मनुष्यो की भाषा में ही सारी बातें कह रहे थे। हंस की मादा साथी बोली – लेकिन राजा को यह बात कैसे पता लगी कि यहां कोई मनुष्य आने वाला है। नर हंस बोला – हमारे राजा प्रतिदिन परीलोक जाते है। वहां एक परी आयी हुई है वह बहुत दिनों से धरती पर अदृश्य होकर रहती थी।

 

 

 

 

उसके स्थान को एक कपट व्यक्ति ने क्षतिग्रस्त कर दिया अब तो उसे परीलोक आना ही था। वह परी जिसका नाम सुमन है। परीलोक की रानी से छुपकर अपने साथी की सहायता करती थी। मादा हंस बोली – लेकिन राजा हंस वहां पहुँचते ही किन्नर बन जाते है और उनका हंस का शरीर अदृश्य हो जाता है।

 

 

 

 

नर के रूप में वहां कोई नहीं जा सकता उसे परीलोक में किन्नर बनकर ही रहना पड़ेगा। मादा हंस बोली – रात्रि बहुत हो गयी है अब हम लोग भी विश्राम करेंगे। वृक्ष के नीचे आया हुआ पथिक भी फल खाने के बाद विश्राम कर रहा है। सुबह पक्षियों की आवाज से मिलन की नींद खुल गयी।

 

 

 

 

वह बिना समय गंवाए जल्दी से उस महात्मा के पास पहुँच जाना चाहता था जो छः महीना सोते थे और छः महीना जागते थे। मिलन को वहां पहुँचने में पूरा दिन लग गया। महात्मा के जागने का समय पूरा हो गया था अब उनकी छः महीने सोने की बारी थी।

 

 

 

 

महात्मा नींद में जाने को उतावले हो रहे थे। मिलन उनके चरणों में दौड़कर गिर पड़ा और अपनी सब व्यथा कहकर सुना दिया। महात्मा बोले – वत्स! तुम्हे आने में बहुत विलंब हो गया अब मैं निद्रा की गोद में जा रहा हूँ पुनः छः महीने के बाद उठने पर ही तुम्हारी समस्या का समाधान अवश्य करूँगा।

 

 

 

 

अब तो मिलन के सामने छः महीने तक इंतजार करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। पहले वाले महात्मा का नाम सुनीत था उनके द्वारा प्रदान की गयी चंदन की लकड़ी ही मिलन के लिए अँधेरे में रोशनी की भांति थी। मिलन इंतजार करने लगा।

 

 

 

 

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