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Swapna Vigyan PDF
जागृत और निद्रावस्थाओं के बीच में कोई निर्दिष्ट सीमा नहीं होती | इसी कारण जाग्रत और निद्रावस्था की चिन्ताधाराओं के बीच में भी सदा सुस्पष्ट पार्थक्य नहीं देखा जाता। कभी कभी ऐसा भी होता है कि जागृत अवस्था में चिन्ता करता हूँ, या स्वप्न देखता हूँ, यह नही जाना जा सकता।
वास्तविक, सम्पूर्ण जागृत अवस्था में भी कभी कभी स्वप्न की तरह चिन्ताधारा चलती है, इसको हम दिवा-स्वप्न या जागर-स्वप्न कहते हैं। जागृत अवस्था में ऐसा प्रतीत होता है कि हम चिन्ता-धारा को नियन्त्रित करते हैं। यह भी स्वप्न एक विशेषता है कि स्वप्न अवस्था में चिन्ताधारा हमारी इच्छानुसार नहीं चलती है।
इसी प्रकार दिवा स्वप्न में भी चिन्ताधारा हमारी इच्छा के बिना चलती है। मैं कई बार स्वप्न की गति को अपनी इच्छानुसार फिर सका हूँ मेरी तरह और लोगो ने भी ऐसा किया होगा। यह जान बूझ कर स्वप्न देखने के जैसा है। अनुभूति के सिवा इस अवस्था का धारणा करना कठिन है।
उपरोक्त कथन से ज्ञात होगा कि साधारणतया निद्रित और जागृत चिंता धाराएं पृथक होने पर भी ऐसी अनेक अवस्थाये है जहां पर जागरण और स्वप्न का अंतर जानना मुश्किल है। स्वप्न में दर्शन के अतिरिक्त अन्य प्रतिरूपो का आभाव होता है। पर सुख दुःख भोग का आभाव नहीं होता। इसे पूरा पढ़ने के नीचे लिंक पर क्लिक करे।
पुस्तक का नाम | स्वप्न विज्ञान Pdf |
लेखक | गिरीन्द्र शेखर |
भाषा | हिंदी |
साइज | 4.2 Mb |
पृष्ठ | 118 |
Swapna Vigyan PDF In Hindi Download
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