अगर आप Taittiriya Upanishad Pdf in Hindi डाउनलोड करना चाहते हैं तो बिल्कुल सही जगह पर आप आये हैं, आप नीचे की लिंक से Taittiriya Upanishad Pdf in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं और यहां से Chitrakala Pustak Pdf Hindi Download कर सकते हैं।
Taittiriya Upanishad Pdf
तैत्तिरीय उपनिषदि यजुर्वेद के तैत्तिरीय स्कूल से जुड़ा है। जिसका श्रेय ऋषि वैशम्पायन के शिष्यों को दिया जाता है। यह 108 उपनिषदों के मुक्ति का सिद्धांत में 7 नंबर के रूप में सूची बद्ध है। तैत्तिरीय उपनिषद के प्रत्येक अध्याय को वल्ली कहा जाता है। जिसका शाब्दिक अर्थ है एक औषधीय वेल। जैसा चढ़ाई वाला पौधा जो स्वतंत्र रूप से उगता है फिर भी एक मुख्य पेड़ से जुड़ा होता है।
इस पुस्तक के बारे में——
पूर्व – ज्ञान सहित कर्मो में तो नित्य मोक्ष के आरंभ करने की भी सामर्थ्य है ही। सिद्धान्ती – नहीं, क्योंकि ऐसा मानने से विरोध आता है। मोक्ष नित्य है और उसका आरंभ किया जाता है ऐसा कहना तो परस्पर विरुद्ध है। पूर्व – जो वस्तु नष्ट हो जाती है वही फिर उत्पन्न नहीं हुआ करती।
अतः प्रध्वंसाभाव के समान नित्य होने पर भी मोक्ष का आरंभ किया ही जाता है ऐसा माने तो? सिद्धान्ती – नहीं, क्योंकि मोक्ष तो भावरूप है। प्रध्वंसाभाव भी आरंभ किया जाता है यह संभव नहीं क्योंकि अभाव में कोई विशेषता न होने के कारण यह तो केवल विकल्प ही है।
भाव का प्रतियोगी ही अभाव कहलाता है। जिस प्रकार भाव वस्तुतः अभिन्न होने पर भी घट पट आदि विशेषणों से भिन्न के समान घटभाव पटभाव आदि रूप से विशेषित किया जाता है इसी प्रकार अभाव निर्विशेष होने पर भी क्रिया और गुण के योग से द्रव्यादि के समान विकल्पित होता है।
कमल आदि पदार्थो के समान अभाव विशेषण के सहित रहने वाला नहीं है। विशेषण युक्त होने पर तो वह भाव ही हो जायेगा। पूर्व – विद्या और कर्म इनका कर्ता नित्य होने के कारण विद्या और कर्म के अविच्छिन्न प्रवाह से होने वाला मोक्ष नित्य ही होना चाहिए। ऐसा माने तो?
इस आर्टिकल में दिये गए किसी भी Pdf Book या Pdf File का इस वेबसाइट के ऑनर का अधिकार नहीं है। यह पाठको के सुविधा के लिये दी गयी है। अगर किसी को भी इस आर्टिकल के पीडीएफ फ़ाइल से कोई आपत्ति है तो इस मेल आईडी [email protected] पर मेल करें।
यह पोस्ट Taittiriya Upanishad Pdf in Hindi आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और इसे शेयर भी करें।