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Tripindi Shraddh Pustak Pdf Download
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सिर्फ पढ़ने के लिये
पार्वती! रुद्राक्ष अनेक प्रकार के बताये गए है। मैं उनके भेदो का वर्णन करता हूँ। वे भेद भोग और मोक्ष रूप फल देने वाले है। तुम उत्तम भाव से उनका परिचय सुनो। एक मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात् शिव का स्वरुप है। वह मोक्ष और भोग रूपी फल प्रदान करता है।
जहां रुद्राक्ष की पूजा होती है वहां से लक्ष्मी दूर नहीं जाती। उस स्थान के सारे उपद्रव नष्ट हो जाते है तथा वहां रहने वाले लोगो की सम्पूर्ण कामनाये पूर्ण होती है। दो मुख वाला रुद्राक्ष देवदेवेश्वर कहा गया है। वह कामनाओ और फलो को देने वाला है।
तीन मुख वाला रुद्राक्ष हमेशा साक्षात् साधन का फल देने वाला है। उसके प्रभाव से सारी विद्याये प्रतिष्ठित होती है। चार मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात् ब्रह्मा का रूप है। वह दर्श और स्पर्श से शीघ्र ही धर्म अर्थ मोक्ष और काम इन चारो पुरुषार्थो को देने वाला है। पांच मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात् कालाग्नि स्वरुप है।
वह सब कुछ करने में समर्थ है। सबको मुक्ति देने वाला तथा सम्पूर्ण मनोवांछित फल प्रदान करने वाला है। पंचमुख रुद्राक्ष समस्त पापो को दूर कर देता है। छः मुख्य वाला रुद्राक्ष कार्तिकेय का स्वरुप है। यदि दाहिनी बांह में उसे धारण किया जाय तो धारण करने वाला मनुष्य ब्रह्महत्या आदि पापो से मुक्त हो जाता है इसमें संशय नहीं है।
माहेश्वरी! सात मुख वाला रुद्राक्ष अनंग स्वरुप और अनंग नाम से ही प्रसिद्ध है। देवेशि! उसको धारण करने से दरिद्र भी ऐश्वर्यशाली हो जाता है। आठ मुख वाला रुद्राक्ष अष्टमूर्ति भैरव रूप है उसको धारण करने से मनुष्य पूर्णायु होता है और मृत्यु के पश्चात शूलधारी शंकर हो जाता है।
नौ मुख वाले रुद्राक्ष को भैरव तथा कपिल मुनि का प्रतीक माना गया है अथवा नौ रूप धारण करने वाली महेश्वरी दुर्गा उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गयी है। जो मनुष्य भक्ति परायण हो अपने बाए हाथ में नवमुख रुद्राक्ष को धारण करता है वह निश्चय ही मेरे समान सर्वेश्वर हो जाता है इसमें संशय नहीं है।
दस मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात् भगवान विष्णु का रूप है। देवेशि! उसको धारण करने से मनुष्य की सम्पूर्ण कामनाये पूर्ण हो जाती है। परमेश्वरि! ग्यारह मुख वाला जो रुद्राक्ष है वह रूद्र रूप है। उसको धारण करने से मनुष्य सर्वत्र विजयी होता है।
बारह मुख वाले रुद्राक्ष को केश प्रदेश में धारण करे। उसके धारण करने से मानो मस्तक पर बारहो आदित्य विराजमान हो जाते है। तरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्वे देवो का स्वरुप है। उसको धारण करके मनुष्य सम्पूर्ण अभीष्टों को पाता तथा सौभाग्य और मंगल लाभ करता है।
चौदह मुख वाला जो रुद्राक्ष है वह परम शिव रूप है। उसे भक्ति पूर्वक मस्तक पर धारण करे इससे समस्त पापो का नाश होता है। गिरिराजकुमारी! इस प्रकार मुखों के भेद से रुद्राक्ष के चौदह भेद बताये गए है। अब तुम क्रमशः उन रुद्राक्षों के धारण करने के मंत्रो को प्रसन्नता पूर्वक सुनो।
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