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Tulsi Dal Gita Press PDF
हे मेरे प्राणाराम राम तू बड़ा ही लीलामय है, खूब खेल खेलना है। मनमाना नाच भी नचाता है और अलग बैठ टुक- टुक देखता हुआ हँसा भी करता है। यह सृष्टि तेरे हास्य का ही तो विलास है, पल्तु तेरा हँसना नित्य नये-नंये रंग लाता है, तेरी एक हँसी मे सृष्टि का उदय होता है।
दूसरी मे उसकी स्थिति होती है और तीसरी में वह तेरे अंदर पुनः विलीन हो जाती है। पर तू तीनो ही अवस्थाओं में हँसता है। इतनी उधेड़ बुन हो जाती है परन्तु तेरी हंसी में कही अंतर नहीं पड़ता। लोग तेरी हंसी के नाना अर्थ करते है उनका वैसा करना अनुचित भी नहीं है।
क्योंकि लोगो में भिन्न भिन्न रूप भासते ही है। यही तो तेरी विलक्षणता है। इसी में तो तेरी मौज का अजब नजारा है किसी का जन्म होता है तू हँसता है फिर हाथ फैलाकर जब सदा के लिए सो जाता है। क्रंदन की करुण ध्वनि से दिशाए रो उठती है।
तू तब भी हँसता ही है। तेरी हास्य लीला अनादि और अनंत है। लोग तेरे इस हास्य की थाह लेना चाहते है अपने परिमित और विलास विभ्रम प्रस्त विमोहयुक्त बुद्धि बल से तेरी हंसी का रहस्य जानना चाहते है। यह बुद्धि का सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होते होते सर्वथा विलुप्त हो जाना नहीं तो क्या है? डाउनलोड करने के लिए नीचे दी गयी बटन पर क्लिक करे।
Tulsi Dal Gita Press PDF Download
पुस्तक का नाम | तुलसी दल Pdf |
पुस्तक के लेखक | पोद्दार हनुमान प्रसाद |
भाषा | हिंदी |
साइज | 4.8 Mb |
पृष्ठ | 264 |
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