Tuzk E Babri In Hindi Pdf / तुजुक – ए – बाबरी Pdf

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Tuzk E Babri In Hindi Pdf Download

 

 

Tuzk E Babri In Hindi Pdf
तुजुक – ए – बाबरी Pdf Download

 

 

 

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सिर्फ पढ़ने के लिये 

 

 

 

वह सदा उत्तम धर्म के पालन में लगी रहती थी तो भी उसे छोड़कर वह ब्राह्मण वेश्यागामी हो गया था। परन्तु दुराचारी पति के आचरण से प्रभावित हो आगे चलकर वह स्त्री भी दुराचारिणी हो गयी। इस तरह दुराचार में डूबे हुए उन मूढ़ चित्त वाले पति पत्नी का बहुत सा समय गुजर गया।

 

 

 

 

 

तदनन्तर शूद्र जातीय वेश्या का पति बना हुआ वह दूषित बुद्धी वाला ब्रह्म बिन्दुग समयानुसार मृत्यु को प्राप्त नरक में चला गया। बहुत दिनो तक नरक दुःख भोगकर वह मूढ़ बुद्धि पापी विंध्य पर्वत पर भयंकर पिशाच हुआ।

 

 

 

 

इधर उस दुराचारी पति बिन्दुग के मर जाने पर वह मूढ़ हृदया बहुत समय तक अपने घर में ही रही। एक दिन दैवयोग से किसी पुण्य पर्व के आने पर वह स्त्री भाई बंधुओ के साथ गोकर्ण क्षेत्र में गयी। तीर्थ यात्रियों की संग से उसने भी उस समय जाकर किसी तीर्थ के जल में स्नान किया।

 

 

 

 

फिर वह साधारणतया बन्धुजनो के साथ यत्र-तत्र घूमने लगी घूमती घामती किसी देव मंदिर में गयी और वहां उसने एक दैवज्ञ ब्राह्मण के मुख से भगवान शिव की परम पवित्र और मंगलकारी उत्तम पौराणिक कथा सुनी। कथावाचक ब्राह्मण कह रहे थे जो स्त्रियां पुरुषो के साथ व्यभिचार करती है।

 

 

 

 

वे मरने के बाद यमलोक में जाती  है। पौराणिक ब्राह्मण के मुख से यह वैराग्य बढ़ाने वाली कथा सुनकर भय से व्याकुल हो वहां कांपने लगी। जब कथा समाप्त हुई और सुनने वाले सब लोग वहां से  बाहर चले गए तब वह भयभीत नारी एकांत में शिव पुराण की कथा बाचने वाले उन ब्राह्मण देवता से बोली – ब्राह्मण! मैं अपने धर्म को नहीं जानती थी इसलिए मेरे द्वारा बड़ा दुराचार हुआ है।

 

 

 

 

स्वामिन मेरे ऊपर अनुपम कृपा करके आप मेरा उद्धार कीजिए। आज आपके वैराग्य रस से ओतप्रोत इस प्रवचन को सुनकर मुझे बड़ा भय लग रहा है। मैं काँप उठी हूँ और मुझे इस संसार से वैराग्य हो गया है। मुझ मूढ़ चित्त वाली स्त्री को धिक्कार है। मैं सर्वथा निंदा के योग्य हूँ।

 

 

 

 

कुत्सित विषयो में फंसी हुई हूँ और अपने धर्म से विमुख हो गयी हूँ। हाय! न जाने किस-किस घोर कष्टदायक दुर्गति में मुझे पड़ना पड़ेगा और वहां कौन बुद्धिमान पुरुष मेरा साथ देगा। मृत्यु काल में उन भयंकर यमदूतो को मैं कैसे देखूंगी?

 

 

 

 

जब वे बलपूर्वक मेरे गले में फंदे डालकर मुझे बांधेंगे तब मैं कैसे धीरज धारण कर सकूंगी। नरक में जब मेरे शरीर के टुकड़े-टुकड़े किये जायेंगे उस समय विशेष दुःख देने वाली उस महा यातनाओ को मैं वहां कैसे सहूंगी?

 

 

 

 

हाय! मैं मारी गयी। मेरा हृदय विदीर्ण हो गया और मैं सब प्रकार सी नष्ट हो गयी क्योंकि मैं हर तरह से पाप में ही डूबी रही हूँ। ब्राह्मण! आप खेद और वैराग्य से युक्त हुई चखुला ब्राह्मण देवता के दोनों वर्णो मे गिर पड़ी  हुन्न। तब उन बुद्धिमान ब्राह्मण ने कृपापूर्वक उसे उठाया और इस प्रकार कहा।

 

 

 

 

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