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Uttara Kalamrita Hindi Pdf
सोनपुर गांव में एक किसान रहता था। उसका नाम प्रदीप था। प्रदीप के पास उसकी बहुत जायदाद थी लेकिन प्रदीप बहुत आलसी था। वह अपने पुरखो की छोड़ी गयी जमीन में कुछ भी कार्य नहीं करता था। प्रदीप की पत्नी का नाम नीलम था। वह प्रदीप से होशियार थी।
प्रदीप खेती में कुछ काम नहीं करता न ही उससे कही नौकरी हो सकती थी अतः घर में रखा हुआ सारा अनाज धीरे-धीरे समाप्त होने लगा तो नीलम को बहुत चिंता होने लगी। वह सोचने लगी आज मैं भी खेती में जाकर देखती हूँ कि प्रदीप वहां कुछ काम करता है या बैठा रहता है।
दूसरे वह प्रदीप से बोली – आज मैं भी आपके साथ खेत में चलूंगी। नीलंकी बात सुनकर प्रदीप बहुत परेशान हो गया लेकिन बोलै कुछ नहीं। नीलम और प्रदीप दोनों खेत में आ गए। नीलम ने देखा खेत में कोई भी काम नहीं हुआ है साड़ी जमीन खाली पड़ी है।
वह प्रदीप से गुस्से में बोली – आप रोज खेत में आते है पर यहां कोई काम नहीं हुआ है। बगल के खेत मे देखो फसल उग रही है। उसने प्रदीप को एक फावड़ा देकर बोली – आप इस फावड़े से जमीन की खुदाई करो मैं आपके साथ उसमे उर्द और मक्के की बुआई करूंगी।
दोनों पति पत्नी काम में लग गए। प्रदीप थक गया वह एक पेड़ के छांव में बैठ गया। उसके साथ ही नीलम भी आ गयी थी। दोपहर का समय था सभी लोग सूरज की उमस से परेशान थे। इतने में एक साधु महाराज उधर से आ निकले। वह भी पेड़ की छाया और दो लोगो को देखकर रुक गए।
साधु महाराज भूख प्यास से परेशान थे। वह प्रदीप से बोले – बेटा! यहां कही पानी मिलेगा मुझे बहुत प्यास लगी है। दीपक ने कहा – महाराज! आप भोजन करिये तथा अपनी प्यास बुझाइये। इतना कहकर उसने साधु महाराज के सामने भोजन और पानी रख दिया। नीलम साधु महाराज को कपड़ा से पंखा करने लगी।
भोजन के उपरांत साधु महाराज प्रसन्न होते हुए बोले – बेटा! मैं तुम दोनों की सेवा से बहुत प्रसन्न हूँ तुम्हे जो भी इच्छा हो मांग सकते हो। प्रदीप साधु महाराज से बोला – आप हमे खेत में काम करने के लिए एक सहायक उपलब्ध करा दो जो हमारे सारे कार्य कर सके।
साधु महाराज बोले – तुम्हे सहायक मिल जायेगा पर उसे हर समय काम चाहिए अन्यथा वह तुम्हे हानि पहुंचा सकता है। प्रदीप बोला – महाराज! हमारे पास बहुत काम है आप सहायक तो दीजिए। साधु महाराज ने दीपक से खेत की थोड़ी सी मिट्टी माँगा फिर उस मिट्टी को मंत्र शक्ति से एक विशाल दानव बना दिया।
दानव आते ही बोला – मुझे काम बताओ मेरे मालिक! प्रदीप बोला – जाओ सारे खेत की बुआई कर दो। दानव के लिए यह एक खेल था। खेत की बुआई हो गयी फिर दानव प्रदीप के सामने खड़ा हो गया और कंन्हि मिलने पर हानि पहुंचाने को कहने लगा। प्रदीप बोला – जाओ खेत सींचने के लिए एक कुंआ बनाओ।
दानव आधे घंटे में कुंआ बनाकर फिर आ धमका। दानव के आने के पहले ही नीलम प्रदीप से बोली – यह आपने साधु महाराज से कौन सी बला मांग लिया। प्रदीप परेशान होते हुए बोला – अब तुम ही कुछ उपाय करो। दानव आया और काम मांगने लगा तब नीलम बोली – हमारे घर के सामने एक मजबूत लोहे का खंभा बनाओ।
पलक झपकते ही दानव लोहे का खंभा बना दिया और फिर बोला – हमे काम दो मालिक नहीं मैं आपको हानि पहुंचाऊंगा। नीलम बोली – तुम्हे इस खंभे पर बारंबार चढ़ना और उतरना है जब कोई काम करना होगा तुम्हे फिर बुलाया जायेगा अन्यथा तुम्हे बारंबार इस खंभे पर चढ़ने और उतरने का काम दिया जा रहा है। नीलम ने चतुराई के साथ दानव से प्रदीप का साथ छुड़ा दिया तथा सारा काम भी लेती थी। दानव कभी खाली नहीं बैठता था नीलम और प्रदीप का सारा काम भी करता था।
उत्तर कालामृत Pdf Download


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