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Vastu Shastra Marathi Pustak Pdf Download
पुस्तक का नाम | Vastu Shastra Marathi Pustak Pdf |
पुस्तक के लेखक | रघुनाथ श्रीपाद देशपांडे |
फॉर्मेट | |
भाषा | मराठी |
साइज | 37 Mb |
पृष्ठ | 475 |
श्रेणी | – |


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सिर्फ पढ़ने के लिये
जबकि वास्तविकता ठीक इसके विपरीत थी। उन चार घंटे के लिए मिलन सुमन के सम्मुख उपस्थित रहता और सबकी गतिविधि देख सकता था। लेकिन मिलन को सुमन के अलावा कोई नहीं देख सकता था। चार घंटे के बाद ज्योति स्वरूपा स्वतः ही जाग जाती थी फिर सब कुछ सामान्य हो जाता था।
सुमन परी के उठने के पहले ही मिलन उठकर टहल रहा था जबकि ज्योति स्वरूपा नींद में मग्न थी। सुमन उठने के बाद कभी ज्योति स्वरूपा को देख रही थी कभी टहलते हुए मिलन को निहार रही थी। उसका कौतुहल बढ़ गया था लेकिन अगले पल उसे मिलन की शक्तियों का भान हो गया था।
जिसके लिए कुछ भी संभव था। उसने शक्तियों की सहायता से ही परीलोक तक की यात्रा निर्विघ्न सम्पन्न कर लिया था। मिलन सुमन परी के समीप आ गया। मिलन को उसके स्वरुप में देखकर सुमन परी को आत्मिक संतोष प्राप्त हो गया। अब दोनों खुश होकर वार्तालाप कर रहे थे।
धीरे-धीरे चार घंटे का समय व्यतीत होने के समीप आ गया। सुमन के पास रानी परी आ गयी और उससे पूछने लगी – यह ज्योति स्वरूपा अभी तक नींद ले रही है। सुमन परी ने रानी परी से कहा – अब इसके उठने का समय हो गया है। सुमन परी यह देखकर संतुष्ट थी कि रानी परी भी उसके पास बैठे मिलन को नहीं देख सकी।
कुछ समय के पश्चात् अंगड़ाई लेती हुई ज्योति स्वरूपा नींद से जागकर उठ बैठी थी। रानी परी सुलेखा ने समन से कहा – क्या आज तुम दोनों को महारानी के दरबार में नहीं चलना है? सुमन परी और ज्योति स्वरूपा दोनों तैयार होकर रानी परी के साथ महारानी के दरबार में उपस्थित हो गए।
नित्य की भांति गीत संगीत का कार्यक्रम संपन्न हो रहा था। अचानक महारानी के मस्तक में पीड़ा होने लगी। एक परी बैद्य को बुलाया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। तभी सुमन परी ने रानी परी से कहा – आप किन्नर ज्योति स्वरूपा को भी एक अवसर प्रदान करे।
शायद इसके युक्ति से महारानी को मस्तक की पीड़ा से आराम मिल जाए। सुमन परी के इस सुझाव पर रानी परी सुलेखा सहमत हो गयी। परन्तु बैद्य परी प्रत्युषा नाराज होकर बोली – सभी ने प्रयास कर लिया लेकिन महारानी का दर्द कम नहीं हुआ।
तब एक अनजाने से किन्नर को प्रयास करने में सफलता प्राप्त करना कैसे संभव है? रानी परी सुलेखा ने बैद्य परी से कहा – जहां सभी लोग असफल हो जाते है वही पर अनजान लोगो के लिए सफलता के द्वार खुल जाते है। ज्योति स्वरूपा को रानी परी ने महारानी के कक्ष में पहुंचा दिया।
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