कठपुतली | 7 + Ved Prakash Sharma Novel in Hindi Pdf

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Ved Prakash Sharma Novel in Hindi Pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

सुधीर अपने कक्षा में दूसरे नंबर पर ही आया था और रजनी भी कक्षा छह में दूसरे नंबर पर थी इन लोगोने तो जैसे नंबर दो पर अपना एक छत्र अधिकार कर रखा था। अगर कोई कहता कि तुम लोड थोड़ा सा और मेहनत करो तो नंबर एक पर पर आ सकते हो। तो सुधीर कहता कि नंबर एक नंबर तीन चाहिए ही नहीं हमने उसे दूसरो के लिए छोड़ रखा है।

 

 

 

 

आखिर दूसरे छात्र भी पढ़ते है ,उन्हें भी नंबर एक और नंबर तीन बनना चाहिए की नहीं ,क्यों दीदी मैं ठीक कह रहा हूँ ना ?रजनी भी सुधीर की हाँ में हाँ मिलाने लगती। इनकी बात सुन कर सभी लोग हँसते हुए चले जाते। सुधीर कहता -अगर किसी दिन हमे लगा कि नंबर एक पोजीशन लेनी है ,तो उसके लिए हम लोग किसी से याचना नहीं करेंगे ,छीन लेंगे ,और नंबर एक अवश्य बन जाएंगे।

 

 

 

 

 

दसवीं कक्षा का परिणाम आ गया था जैसी सबको आशा थी विवेक और नरेश दोनों ही संयुक्त रूप से नंबर एक पर ही थे। इन दोनों के बाद ही सभी का नंबर था। अभी तो परीक्षा पास करने की खुशी सबके ऊपर सवार थी ,लेकिन नरेश के मन में कहीं कोई टीस अवश्य थी जिसे वह अपने दोस्त विवेक से कहना चाहता था।

 

 

 

 

कई बार कहने का प्रयाश भी किया ,लेकिन विवेक की खुसी देख कर नरेश उसकी ख़ुशी में व्यवधान नहीं डालना चाहता था इस कारण से वह अंदर से कुछ टूटा हुआ लग रहा था। नरेश घर आ गया था ,उसके मन में कई तरह के विचार चल रहे थे इस कारण से उसके चेहरे पर परीक्षा पास करने की ख़ुशी की चमक कुछ फीकी लग रही थी।

 

 

 

 

कुछ लोग सिर्फ वर्तमान में जीना चाहते है उन्हें भविष्य से कोई भी सरोकार नहीं रहता है -जब की सच्चाई यही है की वर्तमान से ही भविष्य की रूप रेखा का निर्माण होता है ,और वर्तमान में ही आने वाला भविष्य छुपा रहता है। जो लोग अपने भविष्य का आकलन करते हुए आगे बढ़ते है वह सदैव ही सफल रहते है।

 

 

 

 

भविष्य की कुछ निराशा पूर्ण तस्वीर नरेश भी देख रहा था परन्तु एक आशा की हल्की सी किरण दिख रही थी और इसी विषय पर वह विवेक सोनकर से बात करना चाहता था। राजीव प्रजापति अपने बनाये हुए मिट्टी के बर्तन को पकाने के लिए आंवां लगा रहे थे और उनका साथ दे रही थी उनकी धर्म पत्नी -मालती प्रजापति -सुधीर रोज की तरह नरेश के घर आ गया था।

 

 

 

 

 

उसकी रजनी के साथ अच्छी जमती थी और हमेशा ही वह -दीदी यह बात -दीदी वह बात करते रहता था ,उसका मुँह कभी बंद नहीं होता था। रजनी तो कभी -कभी उसकी बातों से झुँझला उठती थी ,लेकिन अगले पल वह सामान्य हो जाती थी ,सुधीर उसका मुँह बोला भाई जो था। नरेश को अपने पढ़ाई से ही अवकाश नहीं मिलता था वह सदैव ही विवेक के घर पर पढ़ाई की ही बातें करता था।

 

 

 

 

राजीव और मालती ,अपनी जीविका में ही उलझे हुए थे एक सुधीर ही तो था जिससे रजनी अपनी बात कहती थी ,और सुधीर की परेशानी समझती थी। इस समय सुधीर और रजनी दोनों कच्चे मिट्टी के बर्तन उठा कर ले आते थे जिन्हे मालती राजीव को देती थी ,और राजीव पूरी लगन के साथ हिउँ कच्चे बर्तन को पकाने के लिए लाइन से रखते थे।

 

 

 

 

छोटे बच्चो का मन भी इन्ही कच्चे मिट्टी के बर्तन के समान होता है। अगर उनके ऊपर ध्यान न दिया जाय तो टूटने का खतरा अवश्य रहता है और बच्चो के मन रूपी कच्चे बर्तन को पकाने का कार्य सफलता पूर्वक एक माता -पिता ही कर सकते है -अन्यथा समय तो हर मर्ज की दवा होती है। लेकिन समय के साथ परिपक़्व होने के लिए अपने से बड़े और बुजुर्ग लोगो का अनुभव सदैव ही कारगर होता है।

 

 

 

 

वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास फ्री डाउनलोड

 

 

 

 

वेद प्रकाश शर्मा का नावेल बहुत प्रसिद्ध है। हम पाठको तक जितना हो सकता है नावेल पहुंचाने की कोशिश करते है और सारे उपन्यास ओपन सोर्स से लिए जाते है। इस पोस्ट में आपको वेद प्रकाश शर्मा का थ्रिलर, सस्पेंस आदि नावेल मिल जायेगा।

 

 

 

१०जुन १९५५ को मेरठ में पंडित मिश्रीलाल के घर -वेदप्रकाश शर्मा -का जन्म हुआ था। मिश्रीलाल -उत्तर -प्रदेश के एक जिला  -मुजफ्फर पुर के बिहरा  गांव के मूल निवासी थे। वेदप्रकाश शर्मा अपने एक बहन सात भाईओं में सबसे छोटे थे।

 

 

 

वेद प्रकाश शर्मा उपन्यास की दुनियां में बहुत जाना -पहचाना नाम है ,इनके लिखे हुए उपन्यास लोकप्रियता की उंचाईओं पर हैं वेदप्रकाश शर्मा का लिखा हुआ उपन्यास -वर्दी वाला गुंडा -उनका सबसे सफल थ्रिलर उपन्यास है भारत के जन-साधारण के बीच लोकप्रिय उपन्यासों की दुनियां में यह उपन्यस -क्लासिक -दर्जा रखता है।

 

 

 

इस उपन्यास की लगभग ८ करोड़ प्रतियां बिक चुकी हैं। जीवन और समाज को बहुत करीब देखने वाले वेदप्रकाश शर्मा की तीन बेतिया और एक लड़का -सगुन -है। इन्हों ने -तुलसी पॉकेट बुक्स -नामक संस्थान शुरू किया था।

 

 

 

 

वेदप्रकाश शर्मा को उपन्यास की दुनियां में ऊंचा स्थान हासिल है। उनके लिखे हुए उपन्यास सस्ते और अच्छे होते हैं। उनके लिखे १७६ उपन्यास प्रकाशित हो चुके है। वेदप्रकाश शर्मा के लिखे हुए उपन्यास पर फिल्म भी बनाई गई है जिनमें (औरत पैर की जूती नहीं है )प्रमुख है। इन्होने खिलाडी श्रृंखला फिल्मों में पट कथा का लेखन कार्य भी किया है।

 

 

 

वेदप्रकाश शर्मा के उपन्यास के पात्र बहुत ही सजीव होते हैं और कहानियां सदैव अंतर्राष्ट्रीय पात्रों से पूर्ण रहती हैं। इनके उपन्यासिक पात्रों में विजय ,विकाश ,रैना ,आशा ,सिंघही ,अलफांसे इत्यादि अपनी कारगुजारियो से समां बांध देते हैं ,और धनुषटंकार का तो कहना ही क्या ,वह तो एकदम निराला पात्र है।

 

 

 

 

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