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वैदिक ज्योतिष के बारे में
वेदो से कई जानकारियां विद्वान मनुष्यो को प्राप्त होती है। जिनमे से ज्योतिष विद्या भी एक है। वेदो से उत्पन्न होने के कारण ही ज्योतिष को वैदिक ज्योतिष भी कहा जाता है। वैदिक शास्त्र एक प्रकार का विज्ञान है। पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यो के ऊपर पड़ने वाले ग्रहो के प्रभाव को वैदिक शास्त्र के द्वारा जानना और समझना संभव होता है।
आकाश में स्थित नवग्रहों तथा सूर्य चंद्र की स्थिति का अध्ययन वैदिक शास्त्र के द्वारा ज्ञात किया जाता है। वैदिक ज्योतिष से गणना करते समय जन्म राशि, नवग्रह तथा राशि चक्र को आधार बनाया जाता है और वैदिक शास्त्र से विद्वान पुरुष सटीक रूप से गणना करते हुए नवग्रहों से उत्पन्न कठिनाइयों का समाधान कर सकता है।
पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यो का संबंध नक्षत्रो से होता है और राशि के चक्र में सबसे पहले अश्विनी नक्षत्र की गणना होती है। तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। तारा मंडल में मुख्य नक्षत्रो की संख्या 27 है। राशि चक्र में प्रत्येक राशि की स्थिति 30 डिग्री अर्थात एक 60 मिनट की होती है और प्रत्येक नक्षत्र 13 डिग्री अर्थात 20 मिनट का होता है।
मनुष्य के दैनिक जीवन में दिन के नाम भी सात ग्रहो के नाम पर रखे गए है और दो अन्य ग्रहो (राहु और केतु) को सम्मिलित करके नवग्रहों के नाम पर रखे गए है। यह सभी ग्रह मनुष्य के जीवन पर अपना व्यापक प्रभाव रखते है। सभी ग्रह अपने गोचर में भ्रमण करते हुए कुछ राशि चक्र में कुछ समय के ठहरते हुए राशि फल प्रदान करते है।
राहु और केतु का वास्तविक अस्तित्व नहीं है। इन दोनों ग्रहो की स्थिति राशिमंडल में गणितीय बिंदु के रूप में होती है और यह दोनों भी अपने समय में प्रभाव पूर्ण रहते है इन्हे आभासीय ग्रह माना जाता है।
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