विजया एकादशी व्रत कथा Pdf | Vijaya Ekadashi Vrat Katha pdf

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Vijaya Ekadashi Vrat Katha pdf

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

विजया एकादशी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाती है। इसे करने वाले व्यक्ति को अपने शत्रुओ पर विजय प्राप्त होती है तथा यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

 

 

 

श्री कृष्ण विजया एकादशी के प्रधान देवता होते है। विजया एकादशी के विषय में भगवान श्री कृष्ण ने महाराज युधिष्ठिर को बताया था।

 

 

 

विजया एकदशी के पाठ श्रवण करने या कथा सुनने से सभी पाप नष्ट हो जाते है तथा पुनः भाग्योदय हो जाता है। विजया एकादशी के व्रत करने वाले के सभी मनोरथ संसार के पालन और पोषण प्रदान करने वाले भगवान श्री विष्णु की कृपा से पूर्ण होते है।

 

 

 

विजया एकादशी व्रत कथा

 

 

 

एक बार देवर्षि नारद जी ने ब्रह्मा जी से विजया एकादशी के महात्म्य के विषय में पूछा था। ब्रह्मा जी ने कहा – इस विजया एकादशी व्रत को अवध नरेश दशरथ के पुत्र श्री राम जी ने किया था जिससे वह लंकाधिपति रावण के ऊपर विजय प्राप्त कर सके थे।

 

 

 

सीता को जब रावण हरण कर लंका में ले गया था। उस समय श्री राम के सामने विशाल समुद्र को पार करना एक यक्ष प्रश्न था। तब श्री राम के लघु भ्राता लक्ष्मण ने कहा था कि प्रभु! यहां से थोड़ी दूर पर वकदालभ्य ऋषि का आश्रम है हमे वहां पर जाकर समुद्र को पार करने का उपाय पूछना चाहिए।

 

 

 

अपने लघु भ्राता की बात सुनकर श्री राम जी प्रसन्न हुए तथा वकदालभ्य ऋषि के आश्रम की तरफ प्रस्थान किया। मुनिवर ने श्री राम को अपने आश्रम पर आया हुआ देखकर उनका समयोचित सत्कार किया। श्री राम ने कहा – मुनिवर! आप तो सर्वज्ञ है हमे समुद्र को पार करने के लिए कोई उपाय बतलाइये जिससे मैं लंकाधिपति रावण के ऊपर विजय प्राप्त कर अपनी भार्या सीता को प्राप्त कर सकूँ।

 

 

 

मुनिवर बोले – आप जगत के आधार है फिर भी आपने एक मनुष्य की भांति मुझसे समुद्र पार करने के लिए मुझसे उपाय पूछकर मुझे बड़ाई प्रदान किया है। उससे मैं बहुत अभिभूत हूँ तथा आपको एक उपाय बतलाता हूँ जिससे आप निर्विघ्न समुद्र को पार कर सकेंगे।

 

 

 

वकदालभ्य ऋषि बोले – प्रभु! आप विजया एकादशी का व्रत करिये उसके प्रभाव से आपको लंकाधिपति के ऊपर अवश्य विजय प्राप्त होगी और समुद्र पार करने के लिए मार्ग भी प्राप्त हो जायेगा। वकदालभ्य ऋषि के बताये गए विधि से श्री राम ने अपने लघु भ्राता तथा सभी सेनापतियों के साथ विधि विधान से विजया एकादशी का व्रत पूर्ण करके लंका विजय के लिए प्रस्थान किया।

 

 

 

विजया एकादशी के प्रभाव से श्री राम ने सुगमता के साथ समुद्र को पार किया और लंका पर विजय प्राप्त किया। भगवान श्री कृष्ण ने विजया एकादशी के व्रत के प्रभाव का वर्णन करते हुए कहा कि हे युधिष्ठिर! जो भी व्यक्ति पूर्ण विधि के अनुसार विजया एकादशी का व्रत करता है उसे सब मनोरथ की प्राप्ति होकर यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

 

 

 

विजया एकादशी व्रत कथा Pdf Download

 

 

 

Vijaya Ekadashi Vrat Katha pdf

 

 

 

 

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