नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Vimana Shastra Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Vimana Shastra Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से काल विज्ञान पुस्तक Pdf Download कर सकते हैं।
Vimana Shastra Pdf
सिर्फ पढ़ने के लिए
वह भी विभीषण की भांति चरणों में सिर झुकाकर वहां चला, जहां कृपा सागर रघुनाथ जी थे। प्रणाम करके उनसे अपनी कथा सुनाई और श्री राम जी की कृपा से अपनी गति प्राप्त कर लिया।
शिव जी कहते है – हे भवानी! वह ज्ञानी मुनि था। अगस्त्य ऋषि के शाप से राक्षस हो गया था। बार बार श्री राम के चरणों में सिर झुकाकर और वंदना करके वह मुनि अपने आश्रम को चला गया।
57- दोहा का अर्थ-
इधर तीन दिन बीत गए किन्तु जड़ समुद्र विनय नहीं मानता है। तब श्री राम जी क्रोध में बोले – बिना भय के प्रीति नहीं होती।
चौपाई का अर्थ-
हे लक्ष्मण मैं समुद्र को सुखा देता हूँ। मुर्ख से विनय, कुटिल से प्रेम, स्वाभाविक रूप से कंजूस से सुंदर नीति और उदारता का उपदेश।
ममता में लीन मनुष्य से ज्ञान की कथा कहानी अत्यंत लोभी से वैराग्य का वर्णन शांति की बात और कामी से भगवान की कथा इन सबका वैसा ही फल होता है जैसे ऊसर जमीन में बीज की बुआई करने से सब व्यर्थ होता है।
ऐसा कहकर श्री रघुनाथ जी ने धनु उठाया। यह मत लक्ष्मण जी के मन को बहुत अच्छा लगा। प्रभु ने भयानक संधान किया जिससे समुद्र के हृदय मे तपन उठने लगी।
मगर, सांप तथा मछलियों के समूह व्याकुल हो गए। जब समुद्र ने जीवो को परेशान होते देखा तो वह स्वर्ण के थाल में अनेक मणियों को भरकर अभिमान छोड़कर ब्राह्मण के रूप में आया।
58- दोहा का अर्थ-
काक भुशुण्डि जी कहते है – हे गरुण जी! सुनिए, चाहे कोई कोटि उपाय करके सींचे पर केला के पहले तने के गिरने के बाद ही उसके दूसरे तने में फल आता है। उसी तरह से नीच विनय से नहीं मानता वह डांटने पर ही रास्ते पर आता है अर्थात झुकता है।
विमान शास्त्र Pdf Download
मित्रों यह पोस्ट Vimana Shastra Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और इस तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।