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Vishnu Puran Pdf in Hindi Gita Press

 

 

 

 

 

 

 

 

विष्णु पुराण में राजवंशों का इतिहास ,भू मंडल का स्वरूप ,कृष्ण चरित्र ,ज्योतिष आदि विषय को बहुत ही तर्क पूर्ण ढंग से वर्णित किया गया है। विष्णु पुराण में हिन्दू आध्यात्मिकता का बहुत सरल ढंग से वर्णन मिलता है। हिन्दू धर्म में १८ पुराणों का उल्लेख प्राप्त होता है। सभी १८ पुराणों में विष्णु पुराण सबसे लघु स्वरूप में है ,इसमें भगवान विष्णु के चरित्र का सविस्तार उल्लेख हुआ है।

 

 

 

 

विष्णु पुराण को आलेख का स्वरूप प्रदान करने वाले महर्षि के पौत्र पराशर ऋषि हैं। विष्णु पुराण में कई प्रमुख बातों का उल्लेख मिलता है यथा -घर -परिवार ,ग्राम ,नगर की सुरक्षा राजा (पृथु )का वर्णन जिनके नाम के ऊपर इस धरा का नाम (पृथ्वी )पड़ा ,धुव को लक्षित करके सांसारिक सुख ,ऐश्वर्य का त्याग ,प्रहलाद के सन्दर्भ में कहा गया है कि मनुष्य को संकट के समय में भी सिद्धांत तथा आदर्शों का त्याग नहीं करना चाहिए।

 

 

 

 

 

इन अभी बातों का विष्णु पुराण में उल्लेख मिलता है। विष्णु पुराण में वर्तमान समय में सात हजार श्लोक प्राप्त होतें हैं ,लेकिनकई ग्रंथों में विष्णु पुराण के श्लोकों की संख्या को तेईस हजार बताया गया है। विष्णु पुराण को छः भागों में विभक्त किया गया है।

 

 

 

-१-पहले भाग में -काल स्वरूप ,ध्रुव ,प्रह्लाद ,महाराज पृथु की कथा के साथ सर्ग अथवा सृष्टि की उत्पत्ति का वर्णन है।

-२- दूसरे भाग में -पृथ्वी के नौ खंड ,ग्रह -नक्षत्र ज्योतिष आदि के साथ लोकों के स्वरूप का उल्लेख है।

-३-तीसरे भाग में -वेद की शाखाओं का विस्तार ,गृहस्थ धर्म और श्राद्ध विधि को वर्णित किया गया है।

-४-चौथे भाग में -सूर्य वंश तथा चंद्र वंश के सभी राजाओं और उनकी सम्पूर्ण वंशावली को विवेचित किया गया है

-५-पांचवें भाग में -भगवान कृष्ण की सम्पूर्ण लीला तथा चरित्रका उल्लेख किया गया है।

-६-छठवें भाग में -प्रलय और मोक्ष का वर्णन प्राप्त होता है।

 

 

 

विष्णु पुराण Pdf Download

 

 

 

 

पुस्तक के लेखक  गीता प्रेस 
पुस्तक का नाम  विष्णु पुराण 
भाषा  हिंदी 
श्रेणी  धार्मिक 
फॉर्मेट  Pdf
पृष्ठ  11 Mb
साइज  558

 

 

 

 

 

 

 

 

विष्णु पुराण पीडीऍफ़ डाउनलोड 

 

 

 

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विष्णु पुराण के बारे में Vishnu Puran Pdf in Hindi Free

 

 

 

Vishnu Puran Pdf in Hindi
Vishnu Puran Pdf in Hindi

 

 

 

विष्णु पुराण का आकार सबसे छोटा है। विष्णु पुराण में भगवान विष्णु के चरित्र का विस्तृत वर्णन है और इसकी रचना करने वाले वेदव्यास जी के पिता पराशर जी है। इस पुराण में भूमंडल का स्वरूप, ज्योतिष, राजवंशो का इतिहास, कृष्ण चरित्र आदि विषयो को बहुत ही तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इसमें हिन्दू आध्यात्मिकता की सरल और सुबोध शैली प्राप्त होती है।

 

 

 

 

विष्णु पुराण के श्लोको की संख्या (सात हजार)

 

 

 

 

विष्णु पुराण में इस समय सात हजार श्लोक उपलब्ध है। यह पुराण छः भागो में विभक्त है।

 

 

1- पहले भाग में शृष्टि अथवा सर्ग की उत्पत्ति, काल का स्वरूप, ध्रुव, पृथु आदि की कथाये दी गई है। वैसे कई ग्रंथो में इसके श्लोको की संख्या तेईस हजार बताई जाती है।

2- विष्णु पुराण के दूसरे भाग में लोक का स्वरूप, पृथ्वी के नौ खंड, ग्रह नक्षत्र आदि का वर्णन है।

3- तीसरे भाग में वेद की शाखाओ का विस्तार, मन्वन्तर, गृहस्थ धर्म के साथ ही श्राद्ध विधि आदि का वर्णन किया गया है।

4- चौथे भाग में सूर्य वंश और चंद्र वंश के राजागण और उनकी वंशावलियों का वर्णन किया गया है।

5- पांचवे भाग में कृष्ण का चरित्र और उनकी अनेको लीला का वर्णन है।

6- छठे भाग में प्रलय तथा मोक्ष का उल्लेख है।

 

 

 

विष्णु पुराण में कृष्ण के चरित्र और उनकी अनेको लीला का वर्णन

 

 

 

 

विष्णु पुराण में मुख्य रूप से कृष्ण चरित्र का वर्णन है। श्री कृष्ण ने प्रजा को संगठन शक्ति का महत्व समझाया और अन्याय का प्रतिकार करने की प्रेरणा दिया।

 

 

 

अधर्म के विरुद्ध धर्म का परचम लहराया। विष्णु पुराण में कृष्ण के चरित्र के साथ ही भक्ति और वेदांत के उत्तम सिद्धांतो का भी प्रतिपादन हुआ है। यहां आत्मा को जन्म-मृत्यु से रहित, निगुण और अनंत बताया गया है।

 

 

 

 

विष्णु पुराण में राज वंशावलियों पर प्रकाश

 

 

 

 

इस विष्णु पुराण में प्राचीन काल के राजवंशो के ऊपर प्रकाश डालते हुए कलयुगी राजाओ को चेतावनी दी गई है कि सदाचार से ही प्रजा का मन जीता जा सकता है, पापमय आचरण से नहीं। राजा का धर्म प्रजा का हित साधन और रक्षा करना होता है। जो राजा अपने प्रजा जन की उपेक्षा करता है उसका विनाश समय से पूर्ण हो जाता है।

 

 

 

 

विष्णु पुराण में आध्यात्मिकता पर प्रकाश

 

 

 

 

जो मनुष्य माया मोह के जाल से मुक्त होकर अपने कर्तव्य का पालन करता है उसे ही इस जीवनकाल का लाभ प्राप्त होता है। विष्णु पुराण के अंतिम तीन अध्यायों में आध्यात्मिक चर्चा करते हुए त्रिविध ताप, परमार्थ और ब्रह्म योग का ज्ञान कराया जाता है। मानव जीवन को श्रेष्ठ माना गया है। इसके लिए देवता भी लालायित रहते है। निष्काम और ज्ञान मार्ग का उपदेश भी इस पुराण में दिया गया है।

 

 

 

विष्णु पुराण के श्रवण से फल प्राप्ति

 

 

 

विष्णु पुराण वेद तुल्य है तथा सभी वर्ण के लोग इसका श्रवण कर सकते है। जो व्यक्ति भगवान विष्णु के चरणों में मन लगाकर विष्णु पुराण का श्रवण करते है उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते है। इस श्रेष्ठ पुराण को सुनने पर मनुष्य आयु, कीर्ति, धन, धर्म तथा विद्या की प्राप्ति करता है।

 

 

विष्णु पुराण कराने के नियम

 

 

 

विष्णु पुराण का श्रोता और वक्ता ‘यजमान और ब्राह्मण’ दोनों को ही सात दिनों तक उपवास रखना चाहिए तथा संध्या वंदन के साथ ही गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए और विष्णु पुराण का वक्ता ब्राह्मण विद्वान होना चाहिए। इस प्रकार विष्णु पुराण का श्रवण करने से मानव अपना कल्याण कर सकता है।

 

 

 

विष्णु पुराण का आयोजन स्थल

 

 

 

 

जिस स्थान पर विष्णु पुराण का श्री गणेश करना हो वह स्थान उत्तम तथा पवित्र होना चाहिए, अपने जन्म भूमि में विष्णु पुराण करवाने का विशेष महत्व बताया गया है। फिर भी जहां मन को संतोष पहुंचे उसी स्थान पर कथा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

 

 

 

विष्णु पुराण करवाने का मुहूर्त

 

 

 

विष्णु पुराण का श्री गणेश कराने के लिए श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन और ज्येष्ठ मास विशेष शुभ है। लेकिन विद्वान ब्राह्मणो से मुहूर्त निकलवाने के साथ ही विष्णु पुराण की कथा का जब भी श्री गणेश हो जाय वही पल वही क्षण शुभ मुहूर्त है ऐसा विद्वान लोगो का मत है।

 

 

 

 

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