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Vishwakarma Prakash Vastu Book Pdf
रागिनी और रघु अपनी हंसती खेलती जिंदगी से बहुत खुश थे। उन दोनों की एक प्यारी सी बिटिया थी, उसका नाम मधु था। नाम के अनुरूप ही उसका स्वभाव था।
एकदम चुलबुला मधु के जैसा मीठा स्वभाव, रघु और रागिनी की आर्थिक दशा ठीक-ठाक थी। छोटा सा परिवार था। एक बार वह लोग गर्मी के मौसम में शिमला घूमने गए।
रघु और रागिनी के ऊपर मधु बर्फ के गोले फेककर ख़ुशी से खेल रही थी। तीनो बहुत खुश थे। उन तीनो के घर वापस जाने का समय हो गया था।
लेकिन उस हंसते-खेलते परिवार पर किसी की बुरी नजर लग गई थी। वापसी के लिए अन्य यात्रियों के साथ ही रघु और रागिनी भी बस में सवार हो गए।
बस जंगल के रास्ते से गुजर रही थी। तब एक जंगली जानवर बस के सामने आ गया। जंगली जानवर को बचाने का प्रयास करते समय बस ड्राइवर के नियंत्रण से बाहर हो गई और कुछ दूर एक खाई में जाकर गिर गई।
बस के ड्राइवर के साथ ही अधिकांश यात्री मर चुके थे। सिर्फ तीन लोग घायल होकर बचे हुए थे। मरने वालो में रघु और रागिनी भी थे।
जो घायल होकर बच गए थे। उसमे बस का कंडक्टर एक यात्री और मधु का समावेश था। अन्य लोगो की सहायता के साथ इन तीनो को बाहर निकाला गया।
तीनो को अस्पताल में दाखिल किया गया। वहां मधु के एक दूर के रिश्तेदार ने आकर मधु को पहचाना और उसे अपने साथ घर ले गए।
उनका नाम रवि और राधा था। इन दोनों की एक कुसुम नाम की एक लड़की थी। रवि और राधा ने मधु को ढांढस बंधाते हुए कहा, “तुम यहां बेफिक्र होकर रहो, किसी बात की जरूरत होने पर हमे बता देना।”
मधु उस हादसे में अपना एक पैर गवां बैठी थी। मधु को अब बैशाखी का सहारा लेकर ही चलना पड़ता था। राधा और रवि मधु का हमेशा ही ध्यान रखते थे।
इस बात से कुसुम को चिढ होती थी। उसे लगता था कि मधु ने उसके माता पिता से उसके हिस्से का प्यार छीन लिया है। इसी सोच के चलते वह हमेशा ही मधु को अपमानित करने का मौका नहीं छोड़ती थी।
मधु पढ़ने में तीव्र थी। एक दिन कुसुम ने अपना पेन चुपके से मधु के बैग में डाल दिया और मास्टर से पेन गुम होने की शिकायत कर दिया था।
मास्टर ने सभी छात्रों से कहा, “जो भी कुसुम का पेन लिया है उसे वापस कर दे अन्यथा सभी के बैग की तलाशी लिया जाएगा और तलाशी में जिसके पास कुसुम का पेन मिलेगा उसे सजा दिया जाएगा।”
सभी छात्रों के बैग की तलाशी लिया गया तो पेन मधु के बैग में मिल गया। लेकिन मधु को खुद नहीं पता था कि कुसुम का पेन उसके बैग में कैसे आ गया था।
एक दिन मधु अपनी बैशाखी के सहारे स्कूल जा रही थी। तब कुसुम ने दो छात्रों के सामने उसके ऊपर छीटा कसी किया। मधु ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया।
इन सब बातो को वह किसी से कह भी नहीं सकती थी। मधु अपने माता-पिता की तस्वीर हाथ में लेकर उनके सामने रोती रही जो उसे अकेला छोड़कर इस दुनिया से चले गए थे।
मधु जैसे पढ़ने में तीव्र थी वैसे ही चित्र बनाने में भी होशियार थी। चित्रकला की परीक्षा में मधु को पहला स्थान प्राप्त हुआ था। स्कूल के सभी छात्र खुश थे क्योंकि मधु को ट्रॉफी प्रदान किया गया था।
लेकिन कुसुम अब उससे और चिढ़ने लगी थी। एक दिन स्कूल से छूटने के बाद सभी छात्र अपने घर जा रहे थे। तभी सड़क पर भगदड़ मच गई।
सब लोग चिल्लाते हुए भाग रहे थे। पता चला एक पागल कुत्ता सभी को दौड़ाकर काट रहा है। कुसुम डरकर मधु के पास आ गई।
उसने पागल कुत्ते से बचाने के लिए मधु से कहा। जैसे ही पागल कुत्ते ने कुसुम के ऊपर आक्रमण करना चाहा तो मधु ने अपनी बैशाखी उस पागल कुत्ते के ऊपर दे मारा।
पागल कुत्ता चिल्लाता हुआ भाग गया था। इस अफरा तफरी में मधु गिर गई और घायल हो गई। कई लोगो ने उसे अस्पताल पहुँचाया था।
हर तरफ इस बहादुर लड़की की हिम्मत की चर्चा हो रही थी। रवि और राधा मधु को अस्पताल में देखने के लिए गए। रवि तो ‘मेरी बहादुर बिटिया’ कहकर उसके गले से लिपट गया।
राधा बोली, ” हमे तुम पर गर्व है बेटी।”
अब कुसुम को समझ आ गया था कि अगर मधु नहीं होती तब उस पागल कुत्ते ने उसे काट खाया होता। वह मधु से क्षमा मांगने लगी।
कुसुम ने अपने गलत आचरण को अपने माता-पिता को बता दिया था, कि ईर्ष्या बस वह मधु के साथ गलत व्यवहार करती आ रही थी।
लेकिन आज कुसुम अपने किए पर शर्मिंदा हुई थी और आगे कभी भी मधु को परेशान नहीं करने की कसम खा चुकी थी। अब कुसुम मधु का बहुत ज्यादा ध्यान रखने लगी। उसके व्यवहार में परिवर्तन आ गया था।
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