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Yog Darshan Pdf Download
पुस्तक का नाम | Yog Darshan Pdf |
पुस्तक के लेखक | हरीकृष्णदास गोयन्दका |
फॉर्मेट | |
भाषा | हिंदी |
साइज | 5.85 Mb |
पृष्ठ | 194 |
श्रेणी | योग |
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सिर्फ पढ़ने के लिये
सुखिया के दो लड़के थे। दोनों अपने परिवार के साथ अलग ही जीवन यापन कर रहे थे। उन दोनों को सुखिया से कोई मतलब नहीं था। सुखिया के पास जायदाद के नाम पर दस विस्वा जमीन का टुकड़ा और एक खपरैल का घर उसके सामने घास-फूस की मंडई थी।
खपरैल के घर में एक चारपाई और दो चार बर्तन थे। विस्तर के नाम पर दो मैली और फ़टी हुई चादर थी। सुखिया की धर्मपत्नी भी दो साल पहले ही उसका साथ छोड़ चुकी थी। सुखिया की दोनों बहू अपने-अपने पति से छिपाकर सुखिया के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था कर देती थी।
सुखिया एकदम निर्विकार भाव से उनकी प्रदान की हुई वस्तु ग्रहण कर लेता था और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के बाद गाय का दूध और अन्य वस्तुए दोनों बहुओ के मध्य समान रूप से वितरित कर देता था। उम्र इस चौथेपन के पड़ाव में जब किसी के सहारे की आवश्यकता होती है।
तब सुखिया के उसके दोनों लड़के बेसहारा छोड़ दिए थे तब गाय सुखिया का सहारा बनी हुई थी और गाय के लिए भी सुखिया का सहारा था। गाय का बछड़ा धीरे-धीरे एक साल का हो गया था सुखिया ने उसका नाम शेरू रखा था। एक साल का गाय का बच्चा अपने नाम के अनुरूप ताकत में शेर के समान ही था।
अपनी आवश्यकता के अनुसार गाय का दूध निकालकर सुखिया बाकी दूध बछड़े के लिए छोड़ देता था। दूसरे समय का दूध सुखिया ने सिर्फ बछड़े के लिए ही छोड़ रखा था। भरपूर पौष्टिक दूध पीने से शेरू शेर के समान हो गया था। सुखिया की गाय ने डेढ़ साल के बाद पुनः एक बछड़े को जन्म दिया।
शेरू की तरह यह बछड़ा भी एकदम सफेद था। सुखिया ने उसका नाम वीरू रखा था और शेरू की भांति ही उसकी भी देखभाल करता था। शेरू अब दूध पर आश्रित नहीं था वह चारा खाता था। वीरू चार महीने का हो गया था। शेरू जब कभी वीरू के समीप जाता तब वीरू उससे सींग लड़ाते हुए खेलता था।
शेरू भी खेल-खेल में वीरू के समान कुलाचे भरने लगता था सुखिया उसे बहुत मुश्किल से संभालता था। शेरू अब हल में चलने के लिए सक्षम हो गया था। रामू के बैल के साथ सुखिया ने शेरू को हल चलाने के लिए प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।
रामू का बैल शेरू के सामने बूढ़ा लगता था लेकिन प्रशिक्षण तो किसी अनुभवी और उम्र में बूढ़े हो चुके व्यक्ति से ही लिया जा सकता है और यही बात पशु और जानवरो पर भी लागू होती है। उन्हें भी उम्र में बूढ़े हो चुके अपने माता-पिता के द्वारा ही प्रशिक्षित होना पड़ता है।
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