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Laghu Parashari Pdf 

 

 

 

 

 

 

लघु पाराशरी के बारे में 

 

 

 

महर्षि वेद व्यास के पिता प्रकांड ज्योतिषी थे। वे अपनी ज्योतिषीय गणना का अवलोकन कर रहे थे तो उन्हें ज्ञात हुआ कि आने वाले समय में पृथ्वी पर महा विनाशकारी भयंकर युद्ध होगा। जिससे पृथ्वी के झुकाव और गति में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा।

 

 

 

जिसके परिणाम स्वरुप ज्योतिषीय गणना द्वारा भविष्य कथन के सिद्धांत विफल हो जायेंगे। तब महर्षि पराशर पृथ्वी निवासियों की सहायता हेतु फलित ज्योतिष के नए सिद्धांतो की रचना किया। जिसे पराशर कृत विशोत्तरी महादशा के नाम से जाना जाता है।

 

 

 

उसमे राहु केतु का भी समावेश किया गया जो आज फलित ज्योतिष का मूल आधार है। महर्षि पराशर द्वारा उद्धृत ‘लघु पराशरी’ में भविष्य कथन के मूल सिद्धांतो को मात्र ’42’ श्लोको में प्रतिपादित किया गया है। इसके अलावा पराशर ऋषि ने ज्योतिष के विषय में बहुत बड़े-बड़े ग्रंथो को मूर्त रूप दिया।

 

 

 

जिससे आज भी भविष्य कथन में सहयोग लिया जाता है। लघु पाराशरी को जातक चंद्रिका भी कहते है। यह फलित ज्योतिष का संस्कृत के श्लोको में अत्यंत लघु ग्रंथ है यह पांच अध्यायों में विभक्त है 1- संज्ञा अध्याय, 2- योग अध्याय, 3- आयुर्वेदा अध्याय, 4- दशाफल अध्याय, 5- शुभाशुभ कथन अध्याय।

 

 

 

आज महर्षि पराशर के फलित ज्योतिष सिद्धांतो से अलग अन्य कोई पद्धति सामान्यतः प्रयोग में दिखाई नहीं देती है। पश्चात में मनीषियों द्वारा इन फलित सूत्रों के आधार पर कई वृहद ग्रंथो की रचना हुई।

 

 

 

Rishi Parashar Ke Bare Mein Aur Jane

 

 

 

भारतीय ज्योतिष विज्ञान में महर्षि पराशर का नाम अग्रणी है। महर्षि पराशर जी ने ही “वृहद पराशर होरा शास्त्र” की रचना की। वृहद पराशर होरा शास्त्र एक पूर्ण ज्योतिष शास्त्र है और इसीलिए यह सभी ज्योतिष शास्त्रीयो में विख्यात है। ऋषि पराशर महर्षि वशिष्ठ के पौत्र है।

 

 

 

 

ऋषि पराशर के पुत्र “वेदव्यास” हुए और उन्होंने “महाभारत” की रचना की। पराशर ऋषि के पिता को एक राक्षस कल्माषपाद ने खा लिया। जैसे ही ऋषि पराशर को यह बात ज्ञात हुई तो उन्होंने सम्पूर्ण राक्षसों के वध के लिए राक्षस सत्र यज्ञ आरम्भ कर दिया और इससे एक-एक करके राक्षस यज्ञ कुंड में आकर गिरने लगे।

 

 

 

 

इसपर महर्षि पुलत्स्य ने आकर पराशर जी से यज्ञ रोकने की प्रार्थना की और अहिंसा का उपदेश दिया और इसके बाद उनके पुत्र वेदव्यास ने भी इस यज्ञ को रोकने की प्रार्थना की। इसपर पराशर जी ने यज्ञ को पूर्णाहुति देकर इसे रोक दिया।

 

 

 

Rishi Parashar द्वारा लिखित “वृहद पराशर होरा शास्त्र” ज्योतिष विद्या की एक बहुत ही प्रमुख किताब है। इस किताब से ज्योतिष सीखने वाला एक सफल ज्योतिषी बन जाता है।

 

 

 

 

लघु पराशरी Pdf Download

 

 

 

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