Yantra Shastra In Hindi Pdf | यंत्र शास्त्र इन हिंदी Pdf

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Yantra Shastra In Hindi Pdf / यंत्र शास्त्र इन हिंदी पीडीएफ

 

 

 

यंत्र शास्त्र इन हिंदी Pdf Download

 

 

 

 

 

 

 

सिर्फ पढ़ने के लिए

 

 

 

हे पुत्र! तुम अजर अमर और गुण के भंडार होओ। श्री रघुनाथ जी तुम पर बहुत कृपा करे। “प्रभु कृपा करे” ऐसा सुनते ही हनुमान जी पूर्ण रूप से प्रेम में मग्न हो गए।

 

 

 

हनुमान जी ने बार-बार सीता जी के चरणों में सिर नवाया और फिर हाथ जोड़कर कहा – हे माता! अब मैं कृतार्थ हो गया आपका आशीर्वाद अमोघ है। यह बात प्रसिद्ध है।

 

 

 

हे माता! सुनो, सुंदर फल वाले वृक्षों को देखकर मुझे बहुत ही भूख लग रही है। सीता जी ने कहा – हे सुत! सुनो, बहुत बड़े राक्षस योद्धा इस वन की रखवाली करते है। हनुमान जी ने कहा – हे माता! आप मन में सुख मानकर और प्रसन्न होकर आज्ञा दे तो मुझे उनका भय तो बिलकुल नहीं है।

 

 

 

 

17- दोहा का अर्थ-

 

 

 

हनुमान जी को बल और बुद्धि में निपुण देखकर जानकी जी ने कहा – जाओ। हे तात! श्री रघुनाथ जी के चरणों को हृदय में धारण करके मीठे फल खाओ।

 

 

 

 

चौपाई का अर्थ-

 

 

 

हनुमान जी सीता जी को सिर नवाकर बाग़ में चले गए। वह फल को खाने लगे और साथ ही वृक्षों को तोड़ने भी लगे। वहां बहुत से योद्धा रखवाली कर रहे थे। उनमे से कुछ को परलोक भेज दिए और कुछ ने जाकर रावण से पुकार किया।

 

 

 

 

और कहा – हे नाथ! एक बहुत बड़ा भारी बंदर आया है। उसने अशोक वाटिका उजाड़ डाली। फल खाया और वृक्ष भी उखाड़ डाले तथा रखवालो को मसल कर जमीन पर डाल दिया।

 

 

 

यह सुनकर रावण ने बहुत से योद्धा पठाये उन्हें देखकर हनुमान जी ने गर्जना की। हनुमान जी ने वहां आये हुए सभी राक्षसों को परलोक भेज दिया। जो कुछ घायल थे वह चिल्लाते हुए भाग गये।

 

 

 

 

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