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Chetan Bhagat Novels In Hindi Pdf
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सिर्फ पढ़ने के लिए
विवेक और नरेश दोनों की पढ़ाई में दुश्मनी पूरे स्कूल में जाहिर थी लेकिन वह दोनों पढ़ाई में जितनी दुश्मनी करते थे पढ़ाई के बाद उससे भी ज्यादा दोनों की दोस्ती थी। एक दिन भी अगर नरेश स्कूल नहीं आता घर पहुंच जाता था या एक दिन विवेक का स्कूल में गैप हो जाता तब नरेश उसके घर आ धमकता था।
विवेक का भाई सुधीर अब थोड़ा बड़ा हो गया था लेकिन शरारते कम नहीं हुई थी। अब वह कभी विवेक की पेंसिल छुपा देता या कोई किताब ही कही रख देता था। इसका परिणाम यह होता था कि विवेक हमेशा ही अपनी मां को उलाहना देता रहता था। विवेक स्कूल में अपने नटखट भाई के विषय में अपने दोस्त नरेश को बता चुका था कि वह कैसे उसे परेशान करता है।
एक दिन नरेश के मन में भी उत्कंठा जाग उठी कि चलकर देखा जाय कि विवेक का भाई सुधीर कैसे परेशान करता है सुधीर को इसलिए आज नरेश भी विवेक के साथ ही उसके घर आ गया था। नरेश का गांव भी सुधीर के गांव के बगल में था इसलिए रघु और राजीव की पहचान पहले से ही थी।
लेकिन बच्चो की वजह से यह पहचान मित्रता में बदलते देर न लगी। विवेक के साथ एक अजनबी बालक को देखकर सुधीर सोच में पड़ गया कि यह कौन है लेकिन तब तक विवेक ने सुधीर से कह दिया कि यह भी तुम्हारा भाई है। बगल वाले गांव में रहता है।
लेकिन तुम इसके साथ वैसी कोई भी चालाकी नहीं करना जैसे हमारे साथ करते हो? ठीक है भैया! मैं तो कोई चालाकी नहीं करता हूँ सिर्फ अपनी पसंद का कुछ सामन इस जगह से उस जगह पर रख देता हूँ। सुधीर ने बाल सुलभ हाव-भाव से कहा कि वहां रघु, कंचन, नरेश के साथ विवेक भी हंस पड़ा और बोला – सामन इधर से उधर कर देते हो लेकिन चालाकी नहीं करते हो?
बिलकुल नहीं सुधीर बड़े भोले अंदाज में कहा। विवेक के साथ ही नरेश भी नाश्ता कर रहा था जो कंचन ने उन दोनों को लाकर दिया था। एक कहावत है – चोर चोरी से मान जाता है पर हेरे फेरी करने से नहीं? विवेक और नरेश दोनों नाश्ता करते हुए खेल और पढ़ाई की बाते कर रहे थे।
तभी मौका देखकर सुधीर ने नरेश के बैग से एक कॉपी निकाल लिया और विवेक के बैग से एक पेन भी निकालकर अपने पसंद की जगह यानी जहां उसकी मां कंचन खाना बनाती थी वहां जाकर छुपा दिया क्योंकि उसे पता था कि बड़ी से बड़ी गलती होने पर भी उसकी मां उसे बचा लेती है।
चेतन भगत उपन्यास Pdf Download





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